पृष्ठ:रामचरित मानस रामनरेश त्रिपाठी.pdf/१२

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न 8 शतरिक्स झछ की विषय की 8 ११ मैं गी. C o 6 २ ८०७ -१० ८० ८ Eq C ८० रू. 31 पृष्ठ विषय मारीच का कपटमृग बननासीता सम्पती से वानरों की भेंट का उस पर आकर्षित होना तथा राम सम्पाती का अपनी युवावस्या का द्वारा मारीच- ७४१७४५ वर्णन करना तथा वानरों को लंका त सीता-हरण ७४५. -७४७ जाने के लिए उत्साहित करना ८०२'०८ जटायुका रावण से वोर युद्ध तथा वानों का समुद्रोल्लिंघन करने का जटायु का मूच्छित होना ७४७-७४३ विचार करना तया जाम्बवन्त का 88 सीता के लिये राम का चिन्तित होना, हनुमान को पार जाने के लिए उत्ते ए दोनों भाइयों का नाश्रम में जाना जित करता ८०५--८०६ गो और सीता को न देखकर राम का

विलाप करना तथा जटायु का मोक्ष ७५० -७५४ सुन्दरकाण्ड

७५५ राम का शबरी के आश्रम में जाना, 82 नवषा-भक्ति का उपदेश तथा पपासर जाम्बवन्त के कहने से हनुमान का की और प्रस्थान ७५६७५६ समुद्र पार करना तथा मैनाक औौर पंपासर में बसंत की शोभा का हनुमान का संवाद वर्णन, नारद-आवागमन भौर राम सुसा और हनुमान का मिलन दोनों का संवाद तथा लंकिनी को और नारद का संवाद ७५९७७० मारकर लंका में प्रवेश -८१३ गा किष्क्रिधाकाण्ड लंकापुरी का वर्णन ८१३ -८१४ मंगलाचरण ७७१ हनुमान और विभीषण का संवाद रामलक्ष्मण का ऋष्यमूक पर्वत के तथा सीता दर्शन की लालसा प्रकट समीप जाना, हनुमान और राम का ८१४ -८१६ ७७२०७७५ हृनुमान का अशोक वाटिका में पहुंच राम और सुग्रीव की मित्रता ७७५-७७७ कर सीता का दर्शन करना तथा उन्हें वालि-की प्रतिज्ञा और सुप्रीब देखकर दुखित होना, रावण का वहां रासियों सहित थानां, सीता बालि गौर सुग्रीव की लड़ाई ७८१ रावणसंवाद तथा त्रिजटा का र ७८२ स्वप्लवर्णन ८१७ -८२० 82 राम औोर बालि का संवाद , ७८२७८४ सीता का दुखित होकर विलाप करना तार का विलाप, राम का उसे तथा त्रिजटा से अपनी मृत्यु के लिये पीरज देना तथा सुीव का सहायता मांगना ८२०-८२१ ७८५७८६ हृतमान का वृक्ष से मुद्रिका डालना राम का प्रवर्पण पर्वत पर निवास और जानकी को अपना परिचय देना ८२१-८२ तथा लक्ष्मण से वर्षा और शऋतुओं सीता और हनुमान का संवाद ८२३२६ का वर्णन ७८७ -७६२ हनुमान को भूख लगना और सीता राम का सुग्रीव पर क्रोध करना ७३२०७६३ की आज्ञा लेकर अशोक-वाटिका सु लक्ष्मण का क्रोध करके किष्किन्धा ८२६ में प्रवेश ७७३२-७६५ अक्षयकुमाघ और मेघनाद का सुग्रीव का अंगद नादि के साथ जाकर हनुमान को नागपाश में बांधकर राम से मिलना ७६५७७६ सभा में ले जाना के सुग्रीव का वानरों को सीता की हनुमान नीर रावण का संवाद ८२६८३२ लिए भेजना तथा हनुमान, लंका-दहन ८३३८३५ नील और अंगद का दक्षिण की हनुमान का सीता के पास फिर आना, ओर जाना। ७६६७६८ उनसे चूड़ामणि लेना और समुद्र पार राम का हनुमान को मुद्रिका देना ७८ करके संव वानरों से मिलना ८३५-८३६ व्यास से व्याकुल होने पर वानरों का मधुबनप्रवेश, फलसेक्षणसुजीब विवरप्रवेश, तपस्विनीमिलन तथा मिलन तथा हनुमान का राम से सीता -७६६ की अवस्था बतलाना ८३' ४१ है। ७८-७८ o ८२७