पृष्ठ:रामचरित मानस रामनरेश त्रिपाठी.pdf/१३

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रामचरितमानस


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राम का वानरों की सेना-सहित लंका की ओर प्रस्थान और समुद्र-तट पर डेरा डालना- ८४२-८४४
मन्दोदरी-रावण-संवाद, विभीषण का रावण को उपदेश देना, रावण से अनादृत होकर विमीपण का राम की शरण में जाना- ८४४-८५३
राम और विभीषण का संवाद- ८५४-८५७
राम का विभीषण को तिलक करना समुद्र से प्रार्थना करना- ८५७-८५८
राम की सेना में शुंक का प्रवेश तथा दण्डित होकर लक्ष्मण का पत्र लेकर रावण के पास लौटना और सब वृत्तांत कहना
शुक-रावण-संवाद, शुक का रावण द्वारा तिरस्कृत होना और राम के दर्शन से उसका शाप-मोक्ष- ८६१-८६५
समुद्र पर राम का क्रोध करना, समुद्र का व्याकुल होकर राम की शरण में आना तघा सेतु बाँधने की सम्मति प्रदान करना- ८६५-८६८

          लंका-काण्ड

मंगलाचरण- ८६९-८७०
नल-नील का सेतु बनाना, शिवलिंग-स्थापन- ८७१-८७३
राम का ससैन्य समुद्र पार होना, सुवेल पर्वत पर निवास तया रावण की व्याकुलता- ८७३-८७५
रावण और मन्दोदरी का संवाद- ८७६-८७७
रावण-प्रहस्त-संवाद, प्रहस्त का कटु वचन कहकर अपने घर जाना- ८७८-८८०
राम का चन्द्रोदय-वर्णन करना तथा अदृश्य बाण से रावण के मुकुट छत्रादि का विध्वंस- ८८१-८८३
मन्दोदरी का राम का विराट रूप वर्णन तथा रावण को राम से मिलने का परामर्श देना- ८८४-८८५
अंगद का लंका में दूत-कार्य के लिए प्रस्थान- ८८७-८९०
रावण और अंगद का संवाद- ८९०-९०६
अंगद का सभा में पैर रोपना तथा राम के पास लौट आना- ९०६-९०९
रावण और मन्दोदरी का संवाद- ९०९-९११
राम और अंगद का संवाद, अंगद के कहने से वानरों-द्वारा लंका घिरवाना, युद्ध करना तथा दुर्ग-विध्वंस- ९१२-९२१
माल्यवंत और रावण का संवाद- ९२२-९२३
मेघनाद का युद्ध, माया का विस्तार तथा वानर-भालुओं की व्याकुलता- ९२४-९२६
लक्ष्मण और मेघनाद का युद्ध तथा लक्ष्मण को शक्ति लगना-९२७-९२९
हनुमान का लंका से सुपेण वैद्य को लाना तया संजीवनी के लिए प्रस्थान- ९२९-९३०
कालनेमि और रावण का संवाद- ९३०
कालनेमि का कपट-वेष धारण कर मार्ग में हनुमान से मिलना; मकरी का मोक्ष तथा कालनेमि वध- ९३१-९३२
संजीवनी लेकर हनुमान का अयोध्या के ऊपर आना तथा भरत का बाण लगने से हनुमान का मूर्च्छित होना- ९३२-९३३
भरत का दुःखी होना तथा हनुमान और भरत का संवाद- ९३३-९३४
राम का लक्ष्मणा की दशा देखकर विलाप करना, हनुमान का आगमन और लक्ष्मण का सचेत होना- ९३५-९३६
रावण का कुम्भकर्ण को जगाना, कुम्भकर्ण का युद्ध करना ओर राम द्वारा उसका वध- ९३७-९४७
मेघनाद का माया-युद्ध, राम का नागपाश में बँधाना, जाम्बवन्त का मेघनाद को मूर्च्छित करना- ९४८-९५०
मेघनाद का यज्ञ करना; लक्ष्मणा द्वारा यज्ञ-विध्वंस, मेघनाद-वध तथा मन्दोदरी आदि का विलाप- ९५२-९५४
रावण का युद्ध के लिये प्रस्थान राक्षस और वानर-वीरों की मुठभेड़ तया राम का विभीषण से विजय-रथ का रूपक-वर्णन- ९५५-९६०
लक्ष्मण के साथ रावण का युद्ध, लक्ष्मणा का मूर्च्छित होना और हनुमान-रावण का परस्पर मुष्टि प्रहार तथा रावण की मूर्च्छा- ९६१-९६५
रावण का यज्ञ-प्रारम्भ, वानरों द्वारा यज्ञ-विध्वंस तथा राम-रावण-युद्ध- ९६५-९७०
इन्द्र का राम के लिए मातलि-सहित रथ भेजना, रावण का विभीषण पर शक्ति चलाना- ९७१-९७८
राम का शक्ति को अपने ऊपर लेना, रावण और विभीषण का युद्ध- ९७८-९७९
रावण और हनुमान का युद्ध, रावण का माया रचना तथा राम द्वारा माया का नाश- ९७९-९८२