पृष्ठ:रामचरित मानस रामनरेश त्रिपाठी.pdf/१४५

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ख) बन बसिन् कि उन्होंने राज्य छोड़ा तो वह किया, वह कहिये और ऊँ ॐ अति आरति पूछउँ सुरराया है रघुपति कथा कहहु करि दाया के एम) प्रथम सो कारन कहहु बिचारी ॐ निगुन. ब्रह्म सगुन वपु धारी राम ॐ . हे देवताओं के स्वामी ! मैं बड़ी दीनता से पूछती हूँ, आप दया करके , राम रामचन्द्रजी की कथा कहिये। पहले तो वह कारण विचारकर बतलाइये जिससे राम्रो । निर्गुण ब्रह्म सगुण रूप धारण करता है। राम पुनि प्रभु कहहु राम अवतारा ॐ बाल चरित पुनि कहहु उदारा राम ॐ कहहु जथा जानकी विवाह की राज तजा सो दूषन काहीं | फिर हे नाथ ! आप रामचन्द्रजी के अवतार की कथा कहिये; फिर उनका । उदार बाल-चरित्र कहिये; फिर जैसे जानकी से विवाह किया, वह कहिये और फिर यह बतलाइये कि उन्होंने राज्य छोड़ा तो किस दोष से ? बन बसि कीन्हे चरित अपारा ॐ कहहु नाथ जिमि रावन मारा। राज बैठि कीन्ही वहु लीला ॐ सकल कहहु संकर सुख सीला है हे नाथ ! फिर उन्होंने बन में बसकर जो अपार चरित किये तथा जिस राम्रो * तरह रावण को मारा, वह कहिये । हे सुख-स्वरूप शंकर ! आप उन सब अनेक छै लीलाओं की सब कथा भी कहिये जो उन्होंने राज्य-सिंहासन पर बैठकर की थीं। रामो है । बहुरि कहहु करुनायतन कीन्ह जो अचरज राम।

  • प्रजा सहितरघुवंस मनि किमि गवने निज धाम।११०

हे दयानिधे ! फिर रामचन्द्रजी ने जो अद्भुत काम किये और रघुकुलभूषण (रामचन्द्रजी) प्रजा सहित अपने धाम ( बैकुण्ठ ) को कैसे गये ? यह भी के म कहिये।। ॐ पुनि प्रभु कहहु सो तत्व बखानी कै जेहि बिग्यान मगन मुनि ग्यानी राम भगति ग्यान विग्यान विरागा ॐ पुनि सब बरनहु सहित विभाग हे प्रभु ! फिर आप उस तत्व को समझाकर कहिये, जिसमें ज्ञानी और ए मुनिजन सदा मग्न रहते हैं। फिर आप भक्ति, ज्ञान, विज्ञान और वैराग्य को विभागों सहित कहिये। औरउ राम रहस्य अनेका ॐ कहहु नाथ अति बिमल बिबेका है जो प्रभु मैं पूछा नहिं होई ॐ सोउ दयाल राखहु जनि गोई १. क्या ? २. छिपा ।