पृष्ठ:रामचरित मानस रामनरेश त्रिपाठी.pdf/१७५

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१७२ छ । ॐ हे मुनियों में श्रेष्ठ भरद्वाज़ ! मैं वह सब कथा तुमसे कहता हूँ। सुनो, राम राम की कथा कलियुग के पापों को हरने वाली, कल्याण करने वाली और बड़ी ॐ सुन्दर है। स्वायंभू मनु अरु संतरूपा ॐ जिन्हते भई नरसृष्टि अनूपा दंपति धरम चिरन नीका अजहुँ गाव श्रुति जिन्ह कै.लीका स्वायंभुव मनु थे, और शतरूपा उनकी स्त्री थीं, जिनसे यह मनुष्य की * अद्भुत सृष्टि हुई। उनके पति-पत्नी धर्म और आचरण पवित्र थे। आज भी * वेद उनकी कीर्ति का गान करते हैं। नृप उत्तानपाद सुत तासू $ ध्रुव हरिभगत भयेउ सुत जासू 8 लघु सुत नाम प्रियव्रत ताही ॐ बेद पुरान । प्रसंसहिं जाही राम) उनका पुत्र उत्तानपाद था, जिसका पुत्र हरिभक्त ध्रुव हुआ। उसके छोटे राम । पुत्र का नाम प्रियव्रत था, जिसकी प्रशंसा वेद और पुराण करते हैं। एम् देवहूति पुनि तासु कुमारी ॐ जो मुनि कर्दम के प्रिय नारी आदि देव प्रभु दीनदयाला ॐ जठर धरेउ जेहि कपिल कृपाली ॐ उसकी क्रन्या का नाम देवती था। वह कर्दम मुनि की प्यारी स्त्री थीं। कैं राम) आदिदेव और दीनों पर दया करने वाले प्रभु को जिन्होंने कृपालु कपिल के (राम) नाम से गर्भ में धारण किया। सांख्य सास्त्र जिन्ह प्रगट वखाना ॐ तत्व विचार निपुन भगवाना । तेहि मनु राज कीन्ह बहु काला ॐ प्रभु अायसु सब विधि प्रतिपाला जिन्होंने सांख्य-शास्त्र का प्रकट रूप में वर्णन किया वे कपिल भगवान् के ॐ तत्व के विचार में बड़े योग्य थे। उन स्वायंभुव मनु ने बहुत समय तक राज ॐ किया और सब प्रकार से भगवान् की आज्ञा का पालन किया। यम्) wrs होइ न बिषय बिरार भवन बसत भा चौथपनु । राम्रो ॐ 3 हृदयँ बहुत दुख लाग जनम गयेउ हरिभगति बिनु ॥ विषय से विरक्ति तो होती नहीं; घर-गृहस्थी में रहते हुये चौथापन ने ( बुढ़ापा ) आ गया । यह सोचकर उनके हृदय को बड़ा दुःख हुआ कि भगवान् राम) की भक्ति बिना जन्म ही व्यर्थ गया ।