पृष्ठ:रामचरित मानस रामनरेश त्रिपाठी.pdf/१८९

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रीमराम- राम -पिसोरम- राम-*-राम- राम -राम -राम -राम -राम) ॐ १८६ ... चdिअनस. ॐ राजा ने घोड़े को चाबुक से मारकर तेज़ी से चलाया। क्योंकि केवल हाँकने से काम के होम नहीं चल सकता था। ॐ आवत देखि अधिक रव बाजी' ॐ चलेउ बराह मरुत गति भाजी कुँ राम तुरत कीन्ह नृप सर संधाना ॐ महि मिलि गयेउ बिलोकत बाना अधिक शब्द करते हुए घोड़े को निकट अता देखकर सुअर हवा की गति । से भाग चला । राजा ने तुरन्त ही धनुष पर बाण चढ़ाया। सुअर बाण देखते ही है पृथ्वी से सट गया । है तुकि तकि तीर महीस चलांवा ॐ करि छल सुअर सरीर बचावा है राम प्रगटत दुरत जाइ मृग भागा ॐ रिस बस भूप चलेउ सँग लागा कै. राजा ने ताक-ताककर तीर चलाए; पर सुअर चालाकी से शरीर बचा लेता है राम) था । इस प्रकार प्रकट होते और छिपते हुये वह पशु भागा जाता था। राजा भी रामा क्रोध के वश में उसके साथ लगा हुआ चला जाता था। राम गयेउ दूरि घुन गहन बराडू ॐ जहँ नाहिंन गज बाजि निबाहू राम अति अकेल बन बिपुल कलेनू छ तदपि न मृग मग तजे नरेलू सुअर दूर जाकर ऐसे घने जङ्गल में चला गया, जहाँ हाथी, घोड़े का * निबाह नहीं। बिल्कुल अकेला होने पर भी, बन के बहुत कष्टों में भी राजा ने ॐ उस पशु का पीछा नहीं छोड़ा। म) कोल बिलोकि भूप बड़ धीरा $ भागि पैठि गिरि गुहा गॅभीरा हैं अगम देखि नृप अति पछिताई $ फिरेउ महाबंन परेउ भुलाई एम। बड़े धैर्य वाले राजा को देखकर, सुअर भागकर पहाड़ की गम्भीर गुफा में । जा घुसा । उसमें जाना कठिन देखकर राजा बहुत पछताकर लौटा; पर उस बन में वह रास्ता भूल गया। खेद खिन्न छुद्धित” तृषित राजा बाजि समेत् । 3 खोजतं ब्याकुल सरित सर जल बिनु भयेउ अचेत ॥ ॐ पश्चात्ताप से दुःखी राजा घोड़े-सहित भूख और प्यास से विकल होकर । नदी और तालाब खोजते हुये पानी बिना बेहाल हो गया। १. घोड़ा । २. वायु । ३. वन । ४. भूखा । ५. प्यासी । y