पृष्ठ:रामचरित मानस रामनरेश त्रिपाठी.pdf/२५१

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E) २४८ अछाम मन:। | सुख के निघान तुम दोनों भाई जाकर नगर देख आओ। अपने सुन्दर मुख दिखलाकर समस्त नगर-निवासियों के नेत्रों को सफल करो। मुनि पद ऋमल बंदि दोउ भ्राता 'चले लोक लोचन सुखदाता हैं। राम) बालक बृन्द देखि अति सोभा ॐ लगे संग लोन मनु लोभा राम के सब लोगों के नेत्रों को सुख देने वाले दोनों भाई सुनि के कमल ऐसे है राम चरणों की वन्दना करके चले । बालकों के समूह अत्यन्त शोभा देखकर साथ लग गये। उनके नेत्र और मन लुभाये हुये हैं। पीत बसले परिकर कटि भाथा ॐ चारू चाप सर सोहत हाथा तन अनुहरत सुचंदन खोरी % स्यामल गौर मनोहर जोरी । दोनों भाइयों के वस्त्र पीले हैं; कमर में फेटा और तरकसे बँधा है और हाथों में सुन्दर धनुष-बाण सुशोभित हैं। सुन्दर चन्दन की खौर ( श्याम और * गौर वर्ण के ) शरीरों के अनुकूल है। श्याम और गोरे की जोड़ी मनोहर है।। म) केहरि कंधर बाहु विसाला ॐ उर अति रुचिर नाग' मनि माला क़ सुभग सोन' सरसीरुह लोचन की बदन मयंक ताप त्र्य मोचन राम सिंह के समान कंधा है, विशाल भुजायें हैं, छाती पर बहुत सुन्दर गंज- राम ॐ मुक्ता की माला है, सुन्दर लाल-कमल ऐसे नेत्र हैं, तापों का हरण करने वाले चन्द्रमा के समान उनके सुख हैं। कानन्हि कनक फूल छबि देहीं ॐ चितवत चितहि चोरि जनु लेहीं । चितवनि बारु भृकुटि र बाँकी ॐ तिलक रेख सोभा जनु चाकी | कानों में सोने के कर्णफूल शोभा देते हैं। देखते ही चित्त को वे मानो चुरा लेते हैं। उनकी चितवन मनोहर और भौंहें उत्तम और बांकी हैं। माथे पर तिलक की रेखाओं की शोभा मानो बिजली है। हुँ र रुचिर चौतनीं सुना सिर मेचक कुञ्चित केस । राम् । सुख सिख सुन्दर बंधुदोउ सोभा सक्कल सुदे॥२१६॥ एका सिर पर सुन्दर चौकोनी टोपियाँ दिये हैं; बाल काले और धुंघराले हैं। दोनों भाई नख से लेकर शिखा तक सुन्दर हैं और उनके शरीर के सब सुन्दर * (राम) १. हाथी । २. लाल । ३. विजली, अवधी बोली में चाकी और चिरौं बिजली के पर्यायवाची एम # हैं। ४. काला ।। () )*8:© ©©®©**********