पृष्ठ:रामचरित मानस रामनरेश त्रिपाठी.pdf/२५३

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ॐ २५० मा भन । हे सखी ! ऐसा शरीरधारी कौन होगा, जो यह रूप देखकर मोहित न हो । हो जाय १ तब कोई दूसरी सखी प्रेम-सहित कोमल वाणी से बोलीहे सयानी ! ॐ मैंने जो सुना है, उसे सुनो। राम) ए दोऊ दसरथ के ढोटा ॐ बाल मरालन्हि के कल' जोटा ॐ मुनि कौसिक मख के रखवारे जिन्ह रन अजिर निसाचर मारे । ये दोनों राजकुमार महाराज दशरथ के पुत्र हैं। बाल राजहंसों के सुन्दर एम् ॐ जोड़े हैं। ये विश्वामित्र सुनि के यज्ञ के रखवाले हैं। इन्होंने रण के मैदान में राक्षसों को मारा है। । स्याम गात कल कंज विलोचन ॐ जो मारीच सुभुज मद मोचन कौसल्या सुत सो सुखखानी के नाम राम धनु सायक पानी श्याम शरीर वाले, जिनके सुन्दर कमल-जैसे नेत्र हैं, जो मारीच और ) * सुबाहु के मद को चूर करने वाले और सुख की खान हैं और जो हाथ में, धनुष बाण लिये हुए हैं, वे रानी कौशल्या के पुत्र हैं, उनका नाम राम है। गौर किसोर वेष वर काॐ ॐ कर सर बाप राम के पाछे राम) लछिमनु नाम राम लघु भ्राती ॐ सुनु सखि तासु सुमित्रा माता जिनका रंग गोरा और अवस्था किशोर है; जो सुन्दर वेष बनाये, हाथ में धनुष वाण लिये राम के पीछे हैं, वे राम के छोटे भाई हैं; उनका नाम लक्ष्मण है । हे सखी ! सुनो, उनकी माता सुमित्रा हैं। - बिग्र काजु कर बंधु दोउ मग मुनि ब = आये देखन्न चाप भख सुनि हरषीं सब नारि।२२१। म ब्राह्मण विश्वामित्र का काम करके और रास्ते में मुनि ( गौतम ) की स्त्री शमा (अहल्या ) का उद्धार करके दोनों भाई यहाँ धनुष-यज्ञ देखने आये हैं। यह सुनकर सब स्त्रियाँ प्रसन्न हुई। सुमो देखि राम छवि कोउ एक कहई ॐ जोगु जानकिहि एह बरु अहई । जौं सखि इन्हहिं देख नरनाहू % पन परिहरि हठि करइ विवाहू कोई एक अन्य सखी राम की छवि देखकर कहने लगी--यह वर जानकी * के योग्य है । हे सखी ! यदि कहीं राजा इन्हें देख ले, तो प्रतिज्ञा छोड़कर १. सुन्दर। २. जोड़ा।