पृष्ठ:रामचरित मानस रामनरेश त्रिपाठी.pdf/२९३

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© २६० . . . . । सीता के साथ में सुन्दर सखियाँ मंगल गीत गा रही हैं। सीता हंस के ने बच्चे की गति से चलीं । उनके अंगों में अपार शोभा है। . . । सखिन्ह मध्य सिय सोहति कैसे $ छविगन मध्य महाछवि जैसे रामो कर सरोज जयमाल सुहाई छ बिस्व विजय सोभा जेहिं छाई । सखियों के बीच में सीता किस प्रकार शोभित हो रही हैं, जैसे बहुत सी राम छवियों के बीच में महाछवि । कमल ऐसे हाथों में जयमाला शोभा दे रही हैं, हैं जिसमें विश्व के विजय की शोभा छाई हुई है। एम् तन सकोचु मन परम उछाहू ॐ गूढ़ प्रेम लखि परइ न काहू जाइ समीप राम छवि देखी रहि जनु कुआँरि चित्र अवरेखी सीता के शरीर में संकोच है पर सन में परम उत्साह है। उनका यह गूढ़ के प्रेम किसी को जान नहीं पड़ रहा है। राम के पास जाकर, राम की शोभा देख कर, राजकुमारी चित्र में लिखी हुई-सी रह गईं। चतुर सखीं लखि कहा चुकाई 3 पहिरावहु जयमाल सुहाई मि) हैं सुनत जुगल कर माल उठाई $ी प्रेम बिबस पहिराइ, न जाई ॐ राम) चतुर सखी ने यह दशा देखकर समझाकर कहा—सुन्दर जयमाला (एम) ॐ पहनाओ। यह सुनकर सीता ने दोन हार्थों से जयमाला उठाई, पर प्रेम की । रामो विवशता से पहराई नहीं जाती। सोहत जनु जुग जलज सनाला ॐ ससिहि सभीत देत जयमाला युवा गावहिं छवि अवलोकि सहेली ॐ सियूँ जयमाल राम उर मेली | मानो मृणाल-सहित दो कमल चन्द्रमा को भय के साथ जयमाला दे रहे हैं। हैं। इस छवि को देखकर सखियाँ गाने लगीं। इतने में सीता ने राम के गले में जयमाला डोल दी। 53 रघुबर उर जयमाल देखि देव बरसहिं सुन्। | राम) 23 सकूचे कत्ल भुआल जनु विलोकिबि कुमुद गन॥ राम्रो राम के गले में जयमाला देखकर देवता फूल बरसाने लगे। सब राजा । राम लोग ऐसे लजा गये, जैसे सूर्य को देखकर कुमुदों का समूह सिकुड़ गया हो। * पुर अरु व्योम बाजने वाजे ॐ खल भए मलिन साधु सब राजे सुर किन्नर नर नाग मुनीसा ॐ जय जय जय कहि देहिं असीसा ॐ