पृष्ठ:रामचरित मानस रामनरेश त्रिपाठी.pdf/३०९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

| ३०६ K६३ मा ३ . ॐ पर करते हैं। कहीं-कहीं सीधेपन में भी बड़ा दोष होता है। टेढ़ा जानकर सभी मको डर लगता है। जैसे टेढ़े चन्द्रमा को राहु नहीं ग्रसता ।। के राम कहेउ रिस तजिअ मुनीसा ॐ कर कुठारु आगे यह सीसा । राम् जेहि रिस जाइ करिअ सोइ स्वामी ६ मोहि जानिअ आपन अनुगामी राम राम ने कहा-हे मुनीश्वर ! क्रोध छोड़िये । आपके हाथ में फरसा है और मेरा यह सिर आगे है। जिस प्रकार आपका क्रोध जाय, हे स्वामी ! बही कीजिये। मुझे आप अपना दास समझिये। हैं - भु सेवाहें समरु स तजहु विप्रबर रोस् । राम्रो • बेष बिलोकें कहेसि कछु बालकहू नाहं दोसु ।२८१। राम्। स्वामी और सेवक में युद्ध कैसा ? हे ब्राह्मण-श्रेष्ठ ! क्रोध छोड़िये । आपका * वीर-वेष देखकर ही बालक ( लक्ष्मण ) ने कुछ कह डाला। उसका भी कुछ के को दोष नहीं । . हैंदेखि कुठार वान धनु धारी ॐ भै लरिकहि रिस बीरु बिचारी राम नाम जान पै तुम्हहि न चीन्हा $ बंस सुभाव उतरु तेइ दीन्हा आपको फरसा, बाण और धनुष धारण किये देखकर और वीर समझकर एम) बालक को क्रोध आ गया। वह आपका नाम तो जानता था, पर उसने आपको । । पहचाना नहीं; अपने वंश के स्वभाव के अनुसार उसने उत्तर दिया। । जौं तुम्ह अँतेहु मुनि की नाईं ॐ पद रज सिर सिसु धरत गोसाईं राम छमहु चूक अनजानत केरी ॐ चहिअ विष उर कृपा घनेरी रामो हैं। यदि आप मुनि की तरह आते, तो हे स्वामी ! वह बालक आपके चरणों हूँ | (राम) की धूल सिर पर रखता । अनजाने की भूल को क्षमा कर दीजिये । ब्राह्मण के एम) . हृदय में बहुत अधिक दृया होनी चाहिये। तुम हमहिं तुम्हहिं सरवरि कसि नाथा ॐ कहहु न कहाँ चरन कहँ माथा । राम मात्र लघु नाम हमारा ॐ परसु सहित बड़ नाम तोहारा । * हे नाथ ! हममें और आपने बराबरी कैसी ? कहिये न, कहाँ चरण और को कहाँ मस्तक ? कहाँ मेरा राम मात्र एक छोटा-सी नाम, और कहाँ आपका परशु- ) ॐ सहित बड़ा नाम ।।