पृष्ठ:रामचरित मानस रामनरेश त्रिपाठी.pdf/३३५

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। ३३२ छfZI ना ... हैं किसी ने नहीं की और न इनके समान किसी ने फलं ही पाये। एम इन्ह सम कोउ न भयंउ जग माहीं ॐ है नहिं कतहुँ होनेउ नाहीं ॐ हम सब सकल सुकृत के रासी ॐ भये जन जनम जनकपुर बासी राम इनके समान जगत् में न कोई हुआ, न कहीं है, और न होने वाला है। राम । हम सब भी समस्त पुण्र्यों की राशि हैं, जो जगत में जन्म लेकर जनकपुर के राम निवासी हुये । । जिन्ह जानकी राम छबि देखी ॐ को सुकृती हम संरिस विसेषी । पुनि देखब रघुबीर बित्राहू ॐ लेब भली बिधि लोचन लाडू | और जिन्होंने जानकी और राम की शोभा देखी है, भला, बताओ तो * हमारे सरीखा विशेष पुण्यात्मा और कौन है ? और अब हम राम का विवाह । देखेंगे और भली-भाँति नेत्रों का लाभ लेंगे। है कहहिं परसपर कोकिल बयनीं ॐ एहि विहिँ बड़ लाभु सुनयनीं हैं रामो बड़े भाग बिधि. बात बनाई ॐ नयन अतिथि होइहहिं दोउ भाई राम) कोयल के समान मधुर बोलने वाली स्त्रियाँ आपस में कहती हैं कि है राम्रो सुन्दर नेत्रों वाली ! इस विवाह में बड़े लाभ हैं। बड़े भाग्य से ब्रह्मा ने बातं राम बना दी है कि ये दोनों भाई हमारे नेत्रों के अतिथि हुआ करेंगे। - बारह बार सनेह बस जनक बोलाउब सीय । लेन आइहाहं बंधु दोउ कोटि काम कमनीय॥३१०॥ ॐ जनकजी बार-बार स्नेह के वश होकर सीता को बुलायेंगे। फिर करोड़ कामदेव के समान सुन्दर दोनों भाई सीता को विदा कराने आया करेंगे । राम्रो विविध भाँति होइहि पहुनाई के प्रिय न काहि अस सासुर माई है एम तब तब राम लषनहिं निहारी ॐ होइहहिं सब फुर लोग सुखारी । तब अनेक प्रकार से उनकी पहुनाई होगी। हे सखी ! ऐसी ससुराल ए किसे प्यारी न होगी ? तब-तब राम लक्ष्मण को देखकर हम सब नगर-निवासी । सुखी होंगे। सखि जसे राम लषन कर जोटा ॐ तैसेइ भूप संग दुइ ढोटा के ॐ स्याम गौर सव अंग सुहाये ॐ ते सब कहहिं देखि जे आये हे सखि ! राम-लक्ष्मण को जैसा जोड़ा है, वैसे ही दो कुमार राजा के कैं Pा करेंगे।