पृष्ठ:रामचरित मानस रामनरेश त्रिपाठी.pdf/६३

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| तुलसीदासजी कहते हैं कि रामकथा मन्दाकिनी नदी है और चित्त सुन्दरः चित्रकूट है। उसमें सुन्दर स्नेह ही बन है, जिसमें सीतारामजी विहार करते हैं। ॐ' [रूपक अलङ्कार] होम) रामचरित चिंतामनु । चारू ॐ संत खुमति तिय सुभग सिंगारू रम) ॐ जग मंगल गुनग्रामे राम के ॐ दानि मुकुति धन धरम धाम के रामचन्द्रजी का चरित्र सुन्दर चिन्तामणि है और सन्त की सुबुद्धिॐ रूपी स्त्री का सुन्दर शृङ्गार है। रामचन्द्रजी के गुण-समूह जगत् का कल्याण करने वाले और मोक्ष, धन, धर्म तथा परमधाम के देने वाले हैं। सदगुर ग्यान विराग जोग के ॐ विबुध बैद भव भीम' रोग के जननि जनक सिय राम पेम के $ वीज सकल ब्रत धरम नेम के ज्ञान, वैराग्य और योग के लिये रामचरित सद्गुरु और संसाररूपी भयंकर रोग के लिये देव-वैद्य अश्विनीकुमार है । यह सीताराम के प्रेम के उत्पन्न करने के लिये माता-पिता और सारे व्रत, धर्म और नियमों के बीज हैं। समन पाप संताप सोक के ॐ प्रिय पालक, परलोक लोक के सचिव सुभट भूपति विचार के ॐ कुभज लोभ उदधि अपार के पाप, सन्ताप और शोक को नाश करने वाले और इस लोक तथा परलोक * के प्यारे पालक हैं। विचाररूपी राजा के वीर मन्त्री और लोभ-रूपी अपार समुद्र । के सोखने के लिये अगस्त्य मुनि हैं। काम कोह कलि मल करि गन के ॐ हरि सावक जन मन बन के एम) अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि ॐ ॐ कामद घन दारिद दवारि के भक्तों के मनरूपी वन में काम, क्रोध और कलियुग के पापरूपी हाथियों । (राम) को मारने के लिये ये सिंह के बच्चे हैं। महादेवजी के बहुत ही प्रिय और पूज्य ॐ अतिथि और दरिद्रतारूपी वन की अग्नि के लिये कामना पूर्ण करने वाले । (राम) मेघ हैं। ॐ मंत्र महा मनि विषय व्याल” के ॐ मेटत कठिन कुअंक भाल के एम् हरन मोह तम दिनकर कर से ॐ सेवक सालि पाल जलधर से। विषयरूपी साँप के लिये मन्त्र और महामणि हैं। ये ललाट पर लिखे हुए । १. भयंकर । २. हाथी । ३. वच्चा । ४. साँप । ५. किरण । ६. धान !