पृष्ठ:रामचरित मानस रामनरेश त्रिपाठी.pdf/८०

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हैं अवाले हैं, अपने ज्ञान कथा नाथ विस्तताई है। । . - ६ ७७ एक राम अवधेस कुमारा ॐ तिन्ह कर चरित विदित संसारा नारि बिरह दुखु लहेड अपारा ॐ भयउ रोषु रन रावनु मारा एक राम तो अवध के राजा दशरथजी के पुत्र हैं। उनका चरित सारे । जगत् में विख्यात है। उन्होंने स्त्री के वियोग में अपार दुःख पायी थी और क्रोध आने पर युद्ध में रावण को मार डाला था। प्रभु सोइ राम कि अपर कोउ जाहि जपत त्रिपुरार'। राम - सत्यधाम सर्वज्ञ तुम्ह ऊहहु बिबेकु बिचारि ॥४६॥ न हे प्रभो ! वही राम हैं या और कोई दूसरे हैं, जिनको शिवजी जपते हैं ? आप सत्य के धाम और सब जानने वाले हैं, अपने ज्ञान से विचार कर कहिये। जैसे मिटङ मोर भ्रम भारी ॐ कहहु सो कथा नाथ विस्तारी जागबलिक बोले मुसुकाई ॐ तुम्हहिं विदित रघुपति प्रभुताई | हे नाथ! जिस तरह मेरा भारी भ्रम मिट जाय, आप बहीं कथा विस्तार से * कहिये। इस पर याज्ञवल्क्यजी मुस्कुराकर बोले---तुम रामचन्द्रजी की प्रभुता । राम) को जानते हो। राम भगत तुम्ह मन क्रम बानी ॐ चतुराई तुम्हारि मैं जानी है। चाहहु सुनई रानगुन गूढ़ा है कीन्हिहु प्रस्न मनहुँ अति सूढ़ा तुम मन, कर्म और वाणी से राम के भक्त हो। मैं तुम्हारी चतुराई जानता हूँ। तुम राम के रहस्यमय गुणों को सुनना चाहते हो। इसी से तुमने इस तरह से पूछा है, मानो बड़े अनजान हो । तात सुनहु सादर मन लाई ॐ कहउँ रास कै कथा सुहाई राम) महा मोह महिपेसु विसाला ॐ राम कथा कालिका कराला हे तात ! तुम आदरपूर्वक मन लगाकर सुनो । मैं राम की सुहावनी कथा राम) कहता हूँ। बड़ी भारी अज्ञान विशाल महिषासुर है, राम की कथा भयंकर काली पुन राम रामकथा ससि किरन समाना ॐ सन्त चकोर करहिं जेहि पाना । । ऐसेइ संसय कीन्ह भवानी ॐ महादेव तब कहा बखानी १. शिव ।