पृष्ठ:रामचरित मानस रामनरेश त्रिपाठी.pdf/९

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रायचरित मानस की किचाय-पांच 88 3 पृष्ठ विपय बाल-काण्ड जय और विजय तथा जलन्वर १७-१६ इत्यादि की कथा मगलाचरण १५४-१५५

  • , ब्राह्मणसाधु-समाज, दुष्टजन, नारदमोह १५६-१७१

बाल्मीकि, सरस्वती, माता-पिता, स्वायंभुव मनु की कथा १७-१८२ रुपये शिव भौर भवानी, अयोध्यापुरी राजा प्रतापभानु की कथा १८३-२०२ राजा दशरथ, जनक, भरत तथा रावण के जन्म की कया २०३-२१२ एछ सुग्रीव आदि को बन्दनाएँ १६-४४ पृथ्वीसहित देवताओं का ब्रह्मा रामनाम की महिमा ४४-५६ के पास जाना, ब्रह्मा का भगवान ५७-६२ के पास जाकर उनकी स्तुति रमकथा का माहात्म्य अयोध्यावर्णन ६३--६४ करना तथा आकाशवाणी होना २१२--२१६। ६४--७४ राजा दशरथ का यन करना और मैं मानस का सांगरूपक वर्णन यज्ञकुण्ड से अग्नि का पायस म याज्ञवल्क्य श्रौर भारद्वाज मुनि ७४७७’ लेकर निकलना २१७-२१८ का संवाद और प्रयाग माहात्म्य रानियों का पायस पाने पर शिवजी श्रर अगस्त्य मुनि का गर्भवती होना २१३२२० ८१-८६ राम नादि का जन्म पौर बाल एम) सतीत्याग ८६---म चरित तथा राम का कोशल्या को विराट रूप दिखलाना २२ -२३३ 88 शिवजी से सती का दक्ष के यन। ० में जाने की आशा लेना २ विश्वमित्र का अयोध्या में जाना सती का प्रात्याग ३२-३४. और राजा, दशरथ से र ७४-५ लक्ष्मण को मांगना दक्ष-यज्ञविध्वंस २३४-२३७ ६५-१०६ विश्वमित्र का राम को सब । एम पार्वती का जन्म और तपस्या अस्त्र-शस्त्र देकर ताड़का, मारी है सप्तर्पियों द्वारा पार्वती की प्रेम २२८-२३e १०६-१११ प्रौर सुबाहु को मरवाना २३६-२४१ एमकामदेव का शिवजी के पास ११२-११६ जनकपुर में राम-लक्ष्मण सहित जाना और भस्म होना २४१-२४७ र) शंकरजी का रति को वरदान देना ११७-११८ विश्वमित्र का पहुंचना राम आर लक्ष्मण का जनकपुर 8 ब्रह्मा-सहित सब देवगणों का में जाकर घूमना और उन्हें

  • शंकर के पास जाना और व्याह देखकर पुरवासियों का प्रसन्न

सल करने के लिये उनसे प्रार्थना करना 30 २४७-२५४ तया सप्तर्षियों का पार्वती के ११८-१२० वाटिकाविहार और सीतादर्शन २५५-२६२ रम पास जाना शिवजी का विवाह १२१-१२४ सीता का पार्वती को पूजना और २६२-२६५ वरदान पाना कैलाश की महिमा, स्वामिकातिक। विश्वमित्र के साथ रामलक्ष्मण का जन्म तथा शिवपार्वती का २६७-२७४ १३५-१५३ का यज्ञशाला में प्रवेश