पृष्ठ:रामचरित मानस रामनरेश त्रिपाठी.pdf/९९

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६६ । अनि । । ॐ सोह सैल गिरिजा गृह आएँ $ जिमि ज़न राम भगति के पाएँ । राम नित नूतन मंगल गृह तासू ॐ ब्रह्मादिक गावहिं जसु, जासू घर में पार्वती के आ जाने से वह पर्वत ऐसाः शोभायमान हुआ, जैसा राम । रामो की भक्ति पाकर भक्त शोभायमान होता है। उस पर्वतराज के घर में नित्य नये. नये मुगल-उत्सव होते हैं, जिसका यश ब्रह्मा आदिक गाते हैं।. . राम नारद, समाचार सब : पाए ॐ कौतुकहीं गिरि गेह सिधाए * सैलराज बड़ आदर कीन्हा ॐ पद पखारि' वर असिनु दीन्हा । जब नारद मुनि ने ( पार्वती के जन्म के ) सब समाचार सुने, तब वे * यही प्रसन्नता से हिमवान के घर आये । पर्वतराज ने उनका बड़ा आदर किया और पाँव धोकर उनको उत्तम आसन दिया। , नारि सहित मुनि पद सिरु नावा ॐ चरन सलिल सबु भवनु सिंचावा । ॐ निज सौभाग्य बहुत गिरि बरना $ सुता बोलि मेली' मुनि, चरना हैं . हिमवान् ने अपनी स्त्री-सहित मुनि के चरणों में शिर नवाया और उनके के चरणों का जल सारे घर में छिड़काया। हिमवान् ने अपने सौभाग्य को बहुत है सराहा और पुत्री को बुलाकर मुनि के चरणों पर डाल दिया। हैं । त्रिकालय सर्बग्य तुम्ह गति सर्वत्र तुम्हारि। ! कहहु सुता के दोष गुन मुनिवर हृदयँ बिचारि ॥६६॥ | हिमवान् ने कहा-हे मुनिवर, आप त्रिकालदर्शी और सर्वज्ञ हैं और राम, आपकी सब जगह पहुँच है। इसलिये आप हृदय में विचार कर कन्या के दोषः कुँ राम) गुण कहिये । कह मुनि बिहँसि गूढ़ मृदु वानी ॐ सुता तुम्हारि सकल गुन खानी है राम) सुंदर सहज सुसील सयानी ॐ नाम उमा अंबिका भवानी राम् नारद मुनि ने हँसकर रहस्य-युक्त और कोमल वाणी से कंहा तुम्हारी... राम पुत्री सब गुणों की खान है। यह स्वभाव ही से सुन्दर, सुशील और चतुर है।। “उमा', 'अम्बिका’ और ‘भवानी' इसके नाम हैं। ५ एम सब लच्छन संपन्न कुमारी की होइहि संतत पिअहि पिआरी युवा ॐ सदा अचल एहि कर अहिवाता ॐ एहितें जसु पइहहिं पितु माता । । १. धोकर । २. डाल दिया है। एमझ-सम)-रामी*-एमएम) **-राम -राम -राम -राम -राम-*-एम) **पछि as