पृष्ठ:लखनउ की कब्र - किशोरीलाल गोस्वामी.pdf/१०१

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वह "इसकी कोई खास खुशी ज़रूर है, लेकिन यह भी पोशीदा है, इसलिये बिल्फ़ेल मैं वह राज़ तुम पर राजहिर नहीं कर सकती ।" मैंने समझा कि यह नाजनी मुझपर यह हाल ज़ाहिर न करेगी; इसलिये मैंने वह जिक्र छोड़ दी और कहा,-"लेकिन, माहरू ! तुम बड़ी दिलेरी का काम कर रही हो, जिसका नतीजा एक न एक दिन बहुत ही बुरा होगा।" वह खैर; जब जैसा होगा, देखा जायगा, बिल्फेल तो तुम मनमानी मौज करलो।" . मैं,-" जान पड़ता है कि तुम कोई बड़ी भारी ताकत रखती हो; जिसकी कुबत से ऐसी दिलेरो और जान जोखिम के काम को महज़ खिलवाड़ समझ रही हो, वरन ऐसे तमाशे में तुम कभी कदम न रखती।" .. वह, खैर, जो कुछ हो, लेकिन इतना तुम याद रक्लो कि मैं तुम्हारी दुश्मन नहीं, बल्कि दोस्त हूं और अगर कोई बद सायत आ भी गई तो पेश्तर मेरी जान जा लेगी, तब तुम्हारी तरफ कोई नज़र उठा सकेगा।" ___ मैंने कहा,--" खैर, आज से मैं अपने तई तुम्हारी मर्जी पर छोड़ देता हूं और अब से कभी इस बारे में कोई कलमान करूंगा।" किस्सहकोताह, फिर वह नाजनी उठकर उसीरास्ते से, जिसका बयान पहिले किया जाचुका है, चलीगई, और मैं गुसलखाने में गया।