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लीग आफ़ नेशन्सका खर्च और भारत

सम्पादक लीगके पिछले अधिवेशनमें खुद ही हाज़िर हुए थे। अतएव उन्होंने यह टोटल लीगके काग़ज़-पत्र देखकर ही दिया है, अपनी कोरी कल्पनासे नहीं दिया। ये इतने पौंड यदि १५) रुपया फ़ी पौंडके हिसाबसे बताये जाय तो १,३७,५९३७५, अर्थात् १ करोड़ ३७ १/२ लाख रुपयेसे भी अधिक हुए। यह इतना ख़र्च ९३७ अंशोंमें बाँटा जाता है। लीगमें शामिल देशों की आबादी, आमदनी और रक़बे आदिको ध्यानमें रखकर हर देशके लिए अंश नियत किये जाते हैं। चुनांचे इँग्लेंड अर्थात् ग्रेट-ब्रिटेनके १०५ अंश नियत हुए हैं और बेचारे भुक्खड़ भारतके ५६ अंश। आपको यह बता देना चाहिये कि पहले भारतके इससे भी अधिक अंश थे। यह भी तो, अभी कुछ ही समय से, बहुत कुछ रोने-पीटनेसे, हुई है। ऊपर जो १ करोड़ ३८४ लाखका टोटल दिया गया है उसे यदि ९३७ अंशोंमें बाँटें तो हर अंशके हिस्सेमें कोई १४,६८६ १/२ रुपया आता है। उसे यदि भारतके ५६ अंशोंसे गुणा करें तो भारतके सालाना देने का टोटल ८, २२, ३३ रुपया होता है। यह कोई सवा आठ लाख रुपया प्रायः यों ही चला जाता है। इसके बदले में यदि कुछ मिलता है तो केवल थोड़ेसे नियमोंपनियमोंका बण्डल। जिस भारतके अधिकांश लोगोंको एक वक्त भी पेटभर भोजन मयस्सर नहीं होता, जहाँ निरक्षताका अखण्ड साम्राज्य है, जहाँ दस-दस बीस-बीस कोस तक शफ़ाख़ानोंका नाम तक नहीं, वहाँका इतना रुपया इस लीगके ढकोसलेके लिए उड़ा दिया जाय, इसपर किस साक्षर और सज्ञान भारतवासीको दुःख न होगा।