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लेखाञ्जलि

किसी एकही मौज़े में रहता है। वहीं सब पञ्च, नियत समयपर, उपस्थित होते और मामले-मुक़द्दमे करते हैं। पञ्चोंकी संख्या ५ से कम और ७से ज़ियादह नहीं होती। उन्हींमेंसे एक आदमी सरपञ्च मुकर्रर कर दिया जाता है। उसमें लिख-पढ़ सकनेकी योग्यताका होना आवश्यक है; क्योंकि पञ्चायतके रजिस्टरों वग़ैरहकी ख़ानापुरी उसीको करनी पड़ती है।

पञ्चायत खोलने की इच्छा होनेपर मौज़ के ख़ास-ख़ास बाशिन्दोंको जिलेके हाकिमको दरख्वास्त देनी पड़ती है। हाकिम इस बातकी जाँच करता है कि पञ्चायत खोलनेकी ज़रूरत है या नहीं और काफ़ी तादादमें काम करने योग्य पञ्च मिल सकते हैं या नहीं। जाँचकी रिपोर्ट अनुकूल होनेपर कलेक्टर या डिपुटीकमिश्नर पञ्च नामज़द कर देता है और उन्हींमेंसे एकको सरपञ्च बना देता है। पञ्च और सरपञ्च मुक़र्रर और बरख़ास्त करनेका अधिकार उसीको है। और सब कार्रवाई हो चुकनेपर रजिस्टर, फारम, क़ानूनकी क़िताब वग़ैरह सामान पञ्चायतको भेज दिया जाता है और दिन मुकर्रर हो जाते हैं कि हफ्तेमें किस-किस दिन पञ्चायत बैठकर काम किया करेगी। बैठकके रोज़ काम तभी हो सकता है जब कम-से-कम ३ पञ्च (जिनमें सरपञ्चको भी शामिल समझिये ) उपस्थित हों।

पञ्चायतोंके अधिकार।

क़ानूनकी रूसे पञ्चायतोंको दीवानी और फ़ौजदारी दोनों मदोंके कुछ अधिकार प्राप्त हैं। सफ़ाई और आवारा घूम-फिरकर नुकसान पहुंचानेवाले मवेशियोंके सम्बन्धमें भी उन्हें कुछ अधिकार दिये गये हैं—