पृष्ठ:लेखाञ्जलि.djvu/१९१

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१९—दण्ड-देवका आत्म-निवेदन।


हमारा नाम दण्ड-देव है। पर हमारे जन्मदाताका कुछ भी पता नहीं। कोई कहता है कि हमारे पिताका नाम वंश या बाँस है। कोई कहता है, नहीं; हमारे पूज्यपाद पितृ-महाशयका नाम काष्ठ है। इसमें भी किसी-किसीका मतभेद है; क्योंकि कुछ लोगोंका अनुमान है कि हमारे बापका नाम बेत है। इसीसे हम कहते हैं कि हमारे जन्मदाताका नाम निश्चयपूर्वक कोई नहीं बता सकता। हम भी नहीं बता सकते। सबके गर्भ धारिणी माता होती है। हमारे वह भी नहीं। हम तो ज़मींतोड़ हैं। यदि माता होती तो उससे पिताका नाम पूछकर आपपर अवश्य हो प्रकट कर देते। पर क्या करें, मज़बूरी है। न बाप, न माँ। अपनी हुलिया यदि हम लिखाना चाहें तो कैसे लिखावें। इस कारण हम सिर्फ अपना ही नाम बता सकते हैं।

हम राज-राजेश्वरके हाथसे लेकर दीन-दुर्बल भिखारीतकके