पृष्ठ:लेखाञ्जलि.djvu/९२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
८४
लेखाञ्जलि

क हैं। क्याही अच्छा हो, यदि कोई उनका सविस्तर वृत्तान्त हिन्दीमें लिखे और जिस इमारतसे जिस ऐतिहासिक व्यक्ति या घटनाका सम्बन्ध हो उसका भी साथ-साथ उल्लेख करता जाय। प्राचीन इतिहासकी स्मृतिके लिए इसकी बड़ी आवश्यकता है।

यमुना-पारकी इमारतें।

राम-बाग़ या आराम-बाग़को कोई-कोई नर-अफशांका बाग़ कहते हैं। नूर-अफशां एक बेगमका नाम था। किसी-किसीका मत है कि जहांगीरकी प्रियतमा बेगम नूरजहांहीका दूसरा नाम नूर-अफशां था! इस बाग़के चारों तरफ़ दीवार है। पश्चिमकी तरफ़, अर्थात् जिस तरफ़ यमुना बहती है, एक ऊँचा चबूतरा है। उसीपर पांच अठकोने मीनार हैं। चबूतरेपर दो बारादरियाँ हैं। मरनेपर बाबर बादशाहका मृत शरीर यहीं रक्खा गया था। यहाँसे, कुछ दिनों बाद, वह काबुल भेजा गया। पर लोगोंका कथन है कि इस बाग़को नूरजहाँने बनवाया था। वह यहाँ अपनी सहेलियोंके साथ सैर करने आया करती थी। इसीसे इसका नाम "आराम-बाग़" हुआ।

एतमादुद्दालाका मकबरा यमुनाके किनारे, एक बाग़के भीतर, है। बाग़का रक़बा कोई १८० गज़ मुरब्बा है। नदीकी तरफ़ छोड़कर और सब तरफ़, बाग़के किनारे-किनारे, दीवार है। नदीकी तरफ एक ऊँचा चबूतरा है। बाग़के चारों कोनोंपर एक-एक बुर्ज है। पूर्वकी तरफ, बीचमें, एक बहुत अच्छा फाटक है। उत्तर और दक्षिणकी तरफ, बीचमें, लाल पत्थरकी कई बहुत सुन्दर इमारतें हैं। एतमादुद्दौलाकी क़बर जिस चबूतरेपर है वह १५० फुट मुरब्बा है। चबू-