पृष्ठ:विक्रमांकदेवचरितचर्चा.djvu/९४

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है वीरसिंह के कालनिर्णय में गलती हो। अवन्ती के राजा अतुल का कोई पता नहीं चलता। पुरातत्त्व के पारदर्शी शायद उसका पता लगा सकें। यदि उसके समय का निर्णय हो जाय तो वीरसिंह के कालनिर्णय की भी पुष्टि हो जाय।

बिल्हण-काव्य में जो बिल्हण को सौ गाँव आदि दिये जाने की बात है वह सन्देहजनक जान पड़ती है। यदि बिल्हण को सौ गाँव और हाथी घोड़े मिलते तो क्यों वे दक्षिण में इधर उधर घूमते फिरते और खुद ताल्लुकेदार हो कर क्यों विक्रमाङ्कदेव के आश्रय में रहते?