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योरप की यात्रा।

समझ पड़ा कि यदि इस संगीत की चर्चा की जाय, इसमेँ अधिक अभ्यास बढ़ाया जाय, तो इसमेँ भी पूरा पूरा रस पाया जा सकता है। हम लोगों को अपने देश का संगीत मधुर और सरस मालूम होता है, इसके कहने की विशेष आवश्यकता प्रतीत नहीं होती। और, अँगरेज़ी संगीत तथा भारतीय संगीत में पूरा पूरा जाति-भेद वर्तमान है, यह बात भी नहीं छिपाई जा सकती।

आज बहुत रात बीते पर, अकले डेक पर, जहाज़ के कठघरे के सहारे खड़ा होकर मैं समुद्र की ओर देखता हुआ अन्यमनस्क भाव से धीरे धीरे एक देशी रागिनों गुनगुना रहा था। गीत समाप्त होने पर मालूम हुआ कि बहुत दिनों से अँगरेज़ी गाना गाने के कारण मन श्रान्त और अतृप्त हो रहा था। आज यह बँगला गीत मुझे, प्यासे का जल के समान, मालूम पड़ा। मुझे जान पड़ा कि वह गाने का सुर समुद्र में अन्धकार के ऊपर जैसे फैल गया; और वैसा सुर और कहीं भी शायद नहीं पाया जा सकता। अँगरेजी गान और हम लोगों के गान में यह एक बहुत बड़ा भेद है कि अँगरज़ी गाना जन समूह से गाने योग्य है और हम लोगों का गाना निर्जन स्थान का है। हम लोगों का संगीत अनिर्वचनीय और अनिर्दिष्ट विषाद का संगीत है। कान्हरा, टोड़ी आदि बड़ी बड़ा रागिनियों में जो एक स्वाभाविक कातरता और गंभीरता है वह किसी व्यक्तिविशेष के हृदय से उत्पन्न नहीं हुई। वह तो सारे जगत की है।

१७ अक्तूबर। दो-पहर के समय हमारा जहाज़ माल्टा द्वीप में पहुँचा। दुर्भेद्य खाईं से नगर सुरक्षित है। बड़े बड़े महल हैं। पर इस शहर में वृक्ष आदि नहीं देख पड़ते। मालूम होता है कि