पृष्ठ:विचित्र प्रबंध.pdf/१८

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मा भै:।

बहुत सी बातें युक्ति के विरुद्ध देखी जाती हैं। यही कारण है कि जो मरना नहीं जानते वे केवलयुद्ध के समय नहीं, शान्ति के समय में भी आपस में नहीं मिल सकते। तार्किक इस बात को युक्ति-विरुद्ध तथा अर्थ-हीन कह सकते हैं, परन्तु पृथ्वी पर यह बात सत्य है।

आराम-कुरसी पर लेट कर राजनीति के सुख-स्वप्न में कल्पना की दृष्टि से जिस समय हम देखते हैं कि सारा भारतवर्ष एक होकर मिलता जा रहा है उस समय बीच बीच में यह एक दुश्चिन्ता उत्पन्न होती है कि बङ्गाली के साथ सिख अपने भाई की तरह क्यों मिलेगा? क्या इसलिए कि बङ्गाली बी॰ ए॰, एम॰ ए॰ पास है? परन्तु जब उससे कड़ी परीक्षा की बात उठेगी तब उसका सार्टिफ़िकेट कहाँ से निकलेगा? यह बात ठीक है कि केवल बातों से भी बहुत से काम निकल जाते हैँ, परन्तु यह बात भी सभी जानते हैं कि चूड़े भिगोने के समय दही का काम बातों से नहीं निकलता। जहाँ आत्म-बलिदान की आवश्यकता है वहाँ उस कमी को कोरी बातें नहीं पूरा कर सकतीं।

किन्तु जब हम देखते हैं कि हम लोगों की पितामही, प्रपितामही आदि अपने पति के साथ मरी हैं, उन लोगों ने मृत-पति के साथ चिता में प्रवेश किया है, तब आशा होती है कि हमारे लिए मरना वैसा कठिन न होगा। यह ठीक है कि उन लोगों मेँ से सभी अपनी इच्छा से नहीं मरी हैं। किन्तु यह भी सत्य है कि अधिकांश स्त्रियों ने स्वेच्छापूर्वक पति का साथ दिया है। विदेशियों ने भी इस बात को स्वीकार किया है।