पृष्ठ:विचित्र प्रबंध.pdf/२२२

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पञ्चभूत । बंगाली स्त्रियों ने पूर्वजन्म में न जाने कितने पुण्य किये थे कि उन्होंने इम देवन्नाक में जन्म लिया है। वाह, केसी देवता की शोभा है । कैमा देवता का माहात्म्य है ? नदी के लिए ये बातें असह्य हो उठी। उसने गम्भीरता से कहा--देखती हूँ कि तुम लोगों का सुर धीरे धीरे बहुत ही ऊँचा होता जा रहा है, जिससे स्त्रियाँ की प्रशंसा की मधुरता का नाश हो रहा है । यदि यह बात सच है कि तुम लोगों की जितनी प्रशंसा हम करती हैं उस प्रशंसा के योग्य तुम नहीं हो तो क्या तुम लोग भी हमारी उचित से अधिक प्रशंता नहीं करतं ? यदि तुम लोग देवता नहीं हो तो हम भी देवी नहीं हैं। यदि हम तुम दोनों 'परम्पर देवी-देवता बनें तो, इस विषय में, झगड़ा करने को प्रात्र- श्यकता ही क्या है। और हममें भी तो सब गुण ही गुण नहीं है। यदि हम हृदय की महत्ता के कारण बड़ी हैं तो तुम भी मानसिक महत्ता के कारण बड़े हो सकते हो। मैंने कहा-~-अपने स्वाभाविक मधुर शब्दों में जो तुमने कहा वह बहुत ही समयोचित है। नहीं ता दीग्नि के वाग्यागों के कारण सच्ची बात कहने के लिए कोई भी साहस नहीं कर सकता ! देवी, तुम केवल कविता की ही देवी हो, और मन्दिरों के देवता हम हैं। देवता के लिए जो कुछ भोग है, जो कुछ महत्ता है, उसके अधिकारी हम लोग हैं। और, तुम लोगों के लिए तो मनु-संहिता मैं केवल ढाई श्लोक हैं। तुम लोग हमारी परम देवता हो, इस कारण सुख-सम्पत्ति आदि में तुम्हारे अधिकारों का निर्देश करना एक प्रकार का हास्यास्पद प्रयत्न है। समस्त पृथिवी हम लोगों के लिए