पृष्ठ:विचित्र प्रबंध.pdf/२२३

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२१२ विचित्र प्रबन्ध । है और उसका अवशिष्ट भाग तुम लोगों के लिए । भोजन हमारा है और जूठन तुम लोगों की ! प्रकृति की शोभा का दर्शन, खुली हवा और स्वास्थ्य के लिए भ्रमण हम लोगों के लिए है, और दुर्लभ मनुष्य-जन्म पाकर भी घर ही के कोने में, रोगी की शय्या पर तथा खिड़की पर तुम लोगों का अधिकार है । हम लोग देवता हैं, इस कारण हमारी पूजा होती है, और तुम देवी हो इस कारण कुचली जाती हो । विचार की दृष्टि से देखने पर दोनों देवताओं में बड़ा भेद देख पड़ता है। वायु ने कहा—बंगला-साहित्य में स्त्रियां की प्रधानता का कारण बंगाली-समाज में स्त्रियों का प्रधान होना ही है। मैंने कहा--इस देश में पुरुषों को कोई काम नहीं है । यहाँ कोई काम है तो गृहस्थी ही है। उसका बनाना और विगाड़ना कंवल स्त्रियों के ही हाथ में है। अच्छी या बुरी, जो कुछ शक्ति है वह स्त्रियां क ही हाथ में है। इस देश की स्त्रियाँ बहुत दिनों से उस शक्ति का प्रयोग करती पाती हैं। जैसे स्टोम-बाट, बहुत बड़ी और बहुत बोझ से भरी हुई दूसरी नाव को,-प्रवाह के अनुकूल या प्रतिकूल- जिधर चाहता है उधर ले जाता है, वैसे ही इस देश की स्त्रियाँ सामा- जिक व्यवहार, बहुत बड़े परिवार सहित अपनी गृहस्थी और पति नाम के एक न चल सकनवाले बोझ को लेकर चलती हैं । दूमर देशों के पुरुष सन्धि-विग्रह, राज्य-शामन आदि पुरुषों के योग्य बड़े बड़े कामों में सदा लग रहते हैं। इस कारण उनकी प्रकृति स्त्री- प्रकृति से जुदा हो गई है। पर इस देश के पुरुष वैसे नहीं हैं। वे घर में पलते हैं. माता के द्वारा उनका लालन होता है और स्त्री