पृष्ठ:विचित्र प्रबंध.pdf/२२५

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विचित्र प्रबन्ध । हो गये हैं, हम लोगों का गुन गुन बातें करने का अभ्यास होगया हैं और तुम सदा से काम में लगी हुई हो। इसी कारण तुम लोगों के पास चरित्र नाम का एक पदार्थ है, एक पात्र है। जिसके पास अपनी वस्तु नहीं होती वह दूसरे की भी वस्तु नहीं पा सकता, और न पाकर उस वस्तु को अपनी ही बना सकता है । अतएव हम लोगों का भार इस समय भी तुम्हीं लोगों का ढाना पड़ेगा। और हम लोगों को काम में लगानं, बाहरी होंगों को दूर करने, प्राड- म्बर को हटान, मिथ्या अभिमान को नष्ट करने, विश्वाम का बढ़ाने और देश-काल से सम्बन्ध स्थापित करने आदि का भार तुम लोगों पर है। सच्ची बात यह है कि अभी तक इन बोझ ढान- वाली नावों को ले चलना तुम लोगों पर ही निर्भर है। यं वचन रूप पाल उड़ाना जानते हैं इस कारण इनकं शक्तिशाली होने का विश्वास कभी न करना। इनको अभी आत्मशक्ति, आत्मसम्मान और व्यवस्थित तंज की आवश्यकता है। गलं में साहबी ढंग की नेकटाई, और पीठ पर माहब का थप्पड़ मम्मान का कारण नहीं हो सकता इस बात की शिक्षा तुम लोगों को ही कभी मधुरता सं और कभी रुखाई से देनी होगा। इन पालतू पशुओं कं गलं की चमकीली रस्सी काट दी। इनकं लम्बे कानों में यह मन्त्र फूंक दा कि अन्न खान की ही वस्तु है, वह हाथ-पैर-सिर आदि में लगाया नहीं जाता, और लगानेवालं की अप्रतिष्ठा ही हाली है। इसी प्रकार शिक्षा गले मैं, माथे में, हाथ में रखने की चीज़ नहीं है। पचाकर उसके द्वारा मानसिक उन्नति करना ही उसका यथार्थ उपयोग है। नदी ने कुछ भी नहीं कहा। उसने एक बार मेरी और स्नेह