पृष्ठ:विचित्र प्रबंध.pdf/२२८

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पश्चभूत । २१७ पच जाना आवश्यक है। खादिष्ट और धी में बना हुआ अनेक प्रकार का भोजन स्वास्थ्य नहीं कहा जा सकता। मार ज्ञान और विश्वास को पक्का करके अपने स्वभाव के साथ मिला देने का ही नाम सरलता है। वही मानसिक स्वास्थ्य है। तरह तरह के ज्ञान तथा अनेक प्रकार के मतों का नाम स्वास्थ्य नहीं है। यहाँ के रहनेवाले देहाती आदमी जिस ज्ञान और विश्वास से अपना अपना जीवन बिताते हैं वह ज्ञान और विश्वास उनकी प्रकृति के साथ मिला हुआ होता है। जिस प्रकार साँस का चलना और रक्त सञ्चालन हम लोगों के अधीन नहीं है उसी प्रकार तरह तरह के मतामतों का रखना न रखना भी उनके हाथ में नहीं है। वे जो कुछ जानते हैं, जिस पर विश्वास करते हैं, उसे महज भाव से ही जानते और सहज हा विश्वास करते हैं। इसी कारण वे अपने ज्ञान के साथ, विश्वास साथ, मनुष्य के साथ मिल कर एक हो गये हैं। एक उदाहरण देता हूँ। घर पर यदि कोई अतिथि प्रा जाय तो ये उसको किसी प्रकार भी लौट जाने नहीं देते-बड़ो भक्ति के साथ उसकी सेवा करते हैं। अतिथि-सेवा में यदि इनकी कुछ हानि हो जाय, यदि इन्हें कुछ कष्ट भी उठाना पड़े तो ये उसकी कुछ भी परवा नहीं करते। हम लोग भी अतिथि-सेवा को धर्म सम- झते हैं । पर हम लोग जानते ही हैं, उस पर हमारा विश्वास नहीं । अतिथि को देखते हीहमारी चित्त-वृत्तियाँ बड़ी श्रद्धा-भक्ति से उसकी सेवा के लिए तैयार नहीं हो जाती । उस समय हमारे हृदय