२२२ विचित्र प्रबन्ध । सूचना है कि यह किसी दिन समस्त सभ्यताओं की महारानी होगी। सम्भव है, अभी इसमें बहुत समय लगे। पर यदि सभ्यता अन्त में मरलता के साथ मम्मिलित नहीं होगी तो उसे अपने आदर्श की पूर्णता भी नहीं प्राप्त हो सकती। यह बात पहले कही जा चुकी है कि भाव-सौन्दर्य स्थिरता के ऊपर निर्भर है। पुरानी बातों के स्मरण में जो सुन्दरता है वह उसकं अप्राप्य होने के कारण नहीं है। हृदय बहुत दिनों तक उसके ऊपर रह सकता है, इसी कारण सहस्र सजीव कल्पना- सूत्रों को फैला कर उसे वह अपने साथ मिला लेता हैं; यही पुरानी बातों के सुन्दर और मधुर होने का प्रधान कारण है। पुराने घर, पुराने देव-मन्दिर आदि की प्रधान सुन्दरता का प्रधान कारणा यही है कि वे बहुत दिनों से स्थिर हैं, और इसी से मनुष्यों उनका सम्बन्ध होगया है। वे सदा मनुष्य-हृदय के साथ से सचेतन हो गये हैं, समाज के साथ उनका सब प्रकार का भेद दूर होगया है और वे समाज का एक अङ्ग हो गये हैं। मनुष्य-समाज में स्त्रियाँ सबसे पुरानी हैं । पुरुष बहुत दिनों से अनेक प्रकार के कार्य, अवस्था और परिवर्तनों के प्रवाह में बह रहा है। पर स्त्रियां सर्वदा स्थिर हैं । वे केवल पत्नी और माता के रूप में वर्तमान रहती हैं। कोई भी विप्लव उनको अपने इस रूप से डिगा नहीं सकता। इसी कारण स्त्रियाँ समाज के हृदय के साथ अच्छी तरह मिल गई है। केवल इतना ही नहीं, किन्तु वे समाज के भाव, काम और शक्ति के साथ मिलकर एक हो गई हैं। इस प्रकार की दुर्लभ एकता प्राप्त करने के लिए उन्हें पूरा मौका मिला है। साथ