पृष्ठ:विचित्र प्रबंध.pdf/२४८

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उसने अपनी बुआ पञ्चभूत । के कष्ट का समाचार नहीं पढ़ा था ? इस साधा- रण मनुष्य के मङ्गल-चिन्तन के लिए क्या एक स्नेह-परिपूर्ण पवित्र हृदय व्याकुल नहीं हुआ था ? इस दरिद्र युवक के परदेश जाने के कारगा क्या वह पवित्र और उच्च हृदय विशेष व्याकुल नहीं हुआ था ? अकस्मात् उस रात को उस मृतप्राय युवक का हृदय मेरी दृष्टि में मूल्यवान् हो गया। रात भर जाग कर मैंने उसकी सेवा की । पर मेरा प्रयत्न निष्फल हुआ। बुना के धन को बुप्रा के पास मैं भंज न मका। वह क्लर्क मर गया। यद्यपि भीष्म, द्रोण आदि महान मनुष्य है, परन्तु इस युवक का मूल्य भी कम नहीं था। इसका मूल्य कितना है, इसका अनुमान कोई कवि नहीं कर सकता और न कोई पाठक ही उस पर विश्वास कर सकता है। इसी कारण उसका मूल्य क्या इस संसार में किसी को मालूम नहीं था ? उसकं लिए केवल एक जीवन ने आत्म-त्याग किया था। पर भोजन-वस्त्र समंत उसका वेतन था आठ रुपये । सो भी बारहों महीने नहीं मिलता था । महत्व अपने प्रकाश से स्वयं प्रकाशित होता है, और हम लोगों के समान दीप्तिहीन छोटे छोटे मनुष्यों के सामने वह अपना प्रकाश फैलाता है। बुआ का प्रेम देखकर हम लोग भी दीप्तिमान हो जाते हैं। जहाँ अन्धकार के कारण कुछ भी नहीं दख पड़ता था वहीं प्रेम का प्रकाश डाल कर देखने से सब स्पष्ट दख पड़ने लगता है। उस समय सहसा देख पड़ता है कि वह स्थान मनुश्य-पूर्ण है। नदी ने दया का भाव दिखा कर कहा-तुम्हारे इस विदेशी क्लर्क की बात मैंने तुमसे पहले भी सुनी थी मालूम नहीं, क्यों