पृष्ठ:विचित्र प्रबंध.pdf/२६१

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२५० विचित्र प्रबन्ध । परन्तु अपना नहीं समझता। वह भी हमारा प्रादर नहीं करता और हम लोगों को भी उस पर विशेष श्रद्धा नहीं। हम लोगों की जो अपनी स्वाभाविक शक्ति थी वह उसकी शिक्षा से नष्ट हो गई है। अब उसकी सहायता के बिना हमारा उठना-बैठना भी कठिन हो गया है। विदशी जाति के राजा में और हमारे मन में और भी एक समता है। बहुत दिनों से वह हम लोगों के साथ रहता है, पर अभी तक वह हमारे देश का निवासी नहीं हुआ, वह सदा यहाँ से अपने देश जाने के लिए तैयार रहता है। जहाँ उसे काम से फुरसत मिली कि वह अपने देश जाने के लिए व्याकुल हो जाता है। सबसे अधिक समता तो यह है कि तुम उसके मार्ग नम्रता दिखाओ तो उसका प्रताप बहुत बढ़ जाता है, परन्तु यदि दृढ़ता के साथ तुम उसका सामना करने के लिए तैयार हो जाओ, यदि तुम उसके थप्पड़ का सामना घूसे से कर सकते हो तो वह तुम्हारे सामने नम्न हो जायगा; वह तुम्हारा अनुगत मित्र बन जायगा । मन से हम लोगों की बड़ी शत्रुता है, अतएव जिस काम में मन का अधिक अधिकार नहीं है उस काम की हम लोग सब से अधिक प्रशंसा करते हैं। नीति के ग्रन्थों में हठ की निन्दा लिखी है परन्तु हठ पर हम लोगों का एक प्रकार का अनुराग पाया जाता है। जो मनुष्य विचार कर, आगे-पीछे सोच कर; बड़ो सावधानी से काम करता है उसके प्रति हम लोगों का प्रेम नहीं होता; परन्तु जो सर्वदा निश्चिन्त रहता है, प्रमन्न रहता है, बिना किसी रुकावट के साफ़ साफ़ बातें कह देता है और बिना प्रायास के कोई बे-