पृष्ठ:विचित्र प्रबंध.pdf/३४२

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--जब तक हम सभ्य पञ्चभूत । छिपाना चाहते हैं ! जिम वैराग्य में कोई महान और क्रिया-शील साधन नहीं है वह वैराग्य वैराग्य नहीं, वह ता असभ्यता का नामान्तर है। व्याम के मुँह से ये बातें सुन कर नदी आश्चर्यचकित हो गई। वह घोड़ी देर तक चुप रह कर बाली-- लोग अपना सभ्यता की रक्षा करने की ओर विशेष ध्यान न देंग और जब तक हम लोग स्वयं अपने वेश, व्यवहार, बासस्थान आदि का सभ्योचित न बनावेंग तब तक न तो हम अपना सम्मान कर सकेंग और न दृसर ही करेंगे। हम लोगों ने अपनी प्रतिष्ठा आप ही बहुत घटा दी है। निति ने कहा---प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए वेतन-वृद्धि की भी आवश्यकता है, परन्तु वह तो मालिकों के अधीन है दाप्ति ने कहा -- वेतन-वृद्धि की विशेष आवश्यकता नहीं है, किन्तु प्रतिष्ठा वृद्धि के लिए तन-वृद्धि होनी चाहिए । इस देश के धनो व्यक्ति भी बड़े गन्दे रहते हैं, परन्तु इसका कारण उनकी अल- सता और मूर्खता है, धन का अभाव कारण नहीं है । जिनकं पास धन है वे समझते हैं कि जोड़ी गाड़ी के बिना हमारे धनी होने से क्या फल ! परन्तु उनके घर में जाकर देखने पर मालूम होता है कि उनका घर तो सभ्य मनुष्यों की गोशाला के योग्य भी नहीं ! अहङ्कार-वृद्धि के लिए जिन बातों की आवश्यकता है उन बातों की ओर हम लोगों का ध्यान भी जाता है, उसके लिए हम लोग प्रयत्न भी करते हैं; परन्तु जिन पर हमारा अात्मसम्मान निर्भर है, जिससे हमार स्वास्थ्य की वृद्धि होती है उसके लिए हम लोगों 1