पृष्ठ:विचित्र प्रबंध.pdf/३४३

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विचित्र प्रबन्ध । के धन की कमी हो जाती है। इस देश की स्त्रियाँ भी इस बात को नहीं समझता कि सुन्दरता के लिए थोड़ से आभूषणों के पहनने की आवश्यकता है, परन्तु अधिक गहने पहन कर अपने धना- न्माद का परिचय देना अशिष्टता और अमभ्यता है। सा इसकं लिए---इस धनान्माद की तृप्ति के लिए---उनके पास धन की कमी नहीं होती । अँगने में कचड़ा पड़ा है, घर की दीवार नल और कानिख से पुती हुई है परन्तु उनको साफ़ करने की ओर ध्यान ही नहीं है। कमी धन की नहीं है, सच्ची बात यह है कि इस देश में अभी तक यथार्थ सभ्यता स्थापित नहीं हुई । क्षिति ने कहा-मैं ना समझती हूँ कि हम लोगों का स्वभाव बालकों के समान है, अतएव हम लोग अत्यन्त सरल हैं। धूल में, कीचड़ में पड़े रहने, नङ्ग रहने तथा किसी भी नियम का पालन न करने आदि में हम लोगों को कुछ लज्जा नहीं मालूम होती। हम लोगों की सभी बातें अकृत्रिम और आध्यात्मिक हैं। अपूर्व रामायण घर में काई मङ्गलोत्सव हानवाला है, अतएव घर के पास ही एक ऊँचे मचान पर नौवतवाल नौवत बजा रहे हैं। व्याम बहुत देर तक आँखें बन्द किये बैठा था, सहमा वह आँख खाल कर बोल उठा। व्याम ने कहा- हम लोगों की देसी रागिनियां में मृत्यु- शोक का भाव व्याप्त है। ये स्वर ग रो कर कह रहे हैं के इस संसार में कुछ भी स्थायी नहीं है। इस संसार में सभी चञ्चल मभी विनाशी हैं। यह बात हम लोगों के लिए न तो नई है और