पृष्ठ:विचित्र प्रबंध.pdf/३५४

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। पञ्चभूत। स्थान नहीं, यह बात मानना हम लोगों के लिए असम्भव है । क्योंकि हम लोगों की इच्छा एक विश्व-इच्छा की, ...हम लोगों का प्रेम एक विश्व-प्रेम की,-अपेक्षा रखता है। इसी के आधार पर उनकी स्थिति है। वायु ने कहा-जड़-प्रकृति नियम के अधीन है । जड़-प्रकृति के नियमों की दीवार चीन की दीवार से भी हड़ और ऊँची है । परन्तु मानव-प्रकृति में एक छोटा सा छिद्र है। उस छिद्र में देखने पर मालूम हुआ कि दीवार के उस पार अनियम का स्वराज्य वर्तमान है। और, वह इसी छिद्र के मार्ग से आकर हम लोगों से मिलता है। उसी राज्य से सुन्दरता, स्वाधीनता, प्रेम, आनन्द प्रादि- भार्ग से हो कर--हम लोगों के पास आते हैं । अतएव हम लोग उम सौन्दर्य को, उस प्रेम का विज्ञान के नियम में बाँधना नहीं चाहतं । इमा समय घर में नदी आई। उसनं वायु से कहा---उस दिन दाग्नि की, पियानो बजाने की स्वरलिपि की. पुस्तक तुमने बहुत हँदी थी परन्तु पता न लगा। बतलाना, उनकी क्या दशा हुई ? वायु ने कहा- मुझं मालूम नहीं। नदी ने कहा--रात को चूहा उम पुस्तक को उठा ले गया । ‘उसे कुतर कर उसने पियानो के तारों में फेंक दिया। इस प्रकार अनर्थक हानि करने का कारण हूँढ़ने पर भी नहीं मिलता। वायु ने कहा---मालूम होता है, वह चूहा अपने कुल में एक शक्तिशाली वैज्ञानिक है। उसने अनेक प्रकार के अनुसन्धानां के द्वारा बजाने की पुस्तक और बाजे के तारों के परस्पर-सम्बन्ध का पता लगाया है। इस समय वह रात भर इसकी जांच कर रहा है। एक-तान-पूर्ण सङ्गीत के रहस्य का आविष्कार करने के लिए