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अध्यापक एडवर्ड हेनरी पामर


बहुत हँसे। बादहू पूछा-"ई कारे मुदर्रिस अज़ तरफ़ कीस्त ?" पामर-"फ़िदवी खास मुदर्रिस अजतरफ़ मलिकै मुअ- जजमा इंगलेड अस्त व ई ओहदा मुखत्तल अज़ तरफ़े मलिका मायानस्त।"

शाह-"चन्द तलामिज़ा मीदारी ?"

पामर-"बिलफैल हमा ब औताने ख़ुद रफ़्ता अन्द कि अय्यामे तातील अन्द ।"

आला हज़रत निहायत खन्दै पेशानी से हँस हँसके कलाम फरमाते रहे और जरा गुरूर और नखवत का नाम नहीं। और सूरत से आसारे सुलतानी व रोवे कहरमानी और जहूर मकरमते जिल्ले सुबहानी पदीदार थे। सुब्हान अल्लाह । क्या कहना है। हम लोग मुरख्खस हुए तो रोज़- नामचा-निगार ने हमारे नाम और निशान दर्ज नामच किये और दस्तख़त उसमे दर्ज करवाये।

प्रशंसा-पत्र

अब हम थोड़े से प्रशंसा-पत्रो का हिन्दी अनुवाद नीचे देते हैं,जो पामर को लोगों ने उनकी योग्यता पर मुग्ध होकर दिये थे।

सैयद-गुलाम हैदर ख़ाँ साहब का लिखा हुआ

प्रशंसा-पत्र

एडवर्ड हेनरी पामर साहब के लिखे हुए अरबी, फारसी और उर्दू के निबन्धों की भाषा की शुद्धता और सुन्दरता को