पृष्ठ:विदेशी विद्वान.djvu/३४

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३―कर्नल आलकट

पाठकों ने थियासफ़िकल सोसायटी का नाम सुना ही होगा। उसे स्थापित हुए कोई ३० वर्ष हुए। उसका प्रधान दफ्तर मदरास (अडियार ) में है। इस समाज के सिद्धान्त कुछ-कुछ ब्रह्मवादियो के सिद्धान्तो से मिलते हैं। इसका मुख्य सिद्धान्त है―मनुष्य परमात्मा का अंश है। अतएव वह परमात्मा का प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त कर सकता है। इस समाज में सब धर्मों और सव सम्प्रदायों के अनुयायी भरती हो सकते हैं। इसके अधिष्ठाताओं और कार्यकर्ताओं का कथन है कि हमें किसी धर्म से द्वेष नहीं, ईश्वर सबका एक है। हाँ, उसकी प्राप्ति के साधन जुदे-जुदे हैं। पर इससे मुख्य उद्देश में बाधा नहीं आ सकती। सब लोगों मे भ्रातृ-भाव की स्थापना, ब्रह्मविद्या का प्रचार और पारस्परिक सहानुभूति की वृद्धि ही इस समाज के कर्तव्य हैं।

इसके संस्थापक कर्नल आलकट का शरीरपात हुए अभी थोड़े ही दिन हुए। मदरास मे, १७ फ़रवरी १९०७ को, आपकी मृत्यु हुई। आपके मृत देह के पास सब धर्मों की प्रधान-प्रधान पुस्तकें रक्खी गई थीं। यह आपकी आज्ञा से हुआ था। आप कह गये थे, ऐसा ही करना। मरने पर सब धर्मों के अनुयायियों ने आपका कीर्त्तिगान किया। आपके