विनय-पत्रिका
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दनुजसूदन, दयासिंधु, दंभापहन, दहन दुर्दोष, दोपहर्ता ।
दुष्टतादमन, दमभवन दुःखौघहर, दुर्गदुर्वासनानाशक ॥१॥
भूरिभूपण,भानुमंत,भगवंत,भव-भंजनामयद,भुवनेशभारी।
भावनातीत, भववंद्य भवभक्तहित,भूमिउद्धरण,भूधरण-धारी॥२॥
वरदावनदाभ, वागीश, विश्वातमा, विरज, वैकुण्ठ-मन्दिर-विहारी
च्यापकव्योम, वंदास,वामन, विभो, ब्रह्मविद, ब्रह्मचिंतापहारी ३
सहज सुन्दर, सुमुख, सुमन, शुभ सर्वदा, शुद्ध सर्वज्ञ,
खच्छन्दचारी।
सर्वकृत, सर्वभृत, सर्वजित, सर्वहित सत्य-संकल्प,
कल्पांतकारी ॥४॥
नित्य, निर्मोह, निर्गुण, निरंजन, निजानन्द, निर्वाण, निर्वाणदाता।
निर्भरानंद, निकंप, निःसीम, निर्मुक्त, निरुपाधि, निर्मम,
विधाता ॥५॥
महामंगलमूल, मोद-महिमायतन, मुग्ध-मधु-मथन, मानद,
अमानी।
मदनमर्दन,मदातीत,मायारहित, मंजु मानाथ, पाथोजपानी ॥६॥
कमललोचन, कलाकोश,कोदंडधरकोशलाधीश कल्याणरासी।
यातुधानप्रचुरमत्तकरि-केशरीभकमन-पुण्य-आरण्यवासी॥७॥
अनघा अद्वत, अनवद्य, अव्यक, अज, अमित, अविकार,
___ आनंदसिंघो।
अचल, अनिकेत, अविरल, अनामय, अनारंभ, अंभोदनादहन-
बंधो ॥८॥
पृष्ठ:विनय पत्रिका.djvu/१०४
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