पृष्ठ:विनय पत्रिका.djvu/४५५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

५६० विनय-पत्रिका साथ जुआ खेलना तथा द्रौपदीको भी दॉवपर रख हार जाना आदि पाण्डवोंके प्रत्यक्ष दोष थे; परन्तु उनकी भक्ति देखकर भगवान कृष्णने उनके दोषोंपर ध्यान नहीं दिया और उनका पक्ष लेकर कुरुराज दुर्योधनसे वैर बाँध लिया । बालि- यद्यपि सुग्रीवका भी पक्ष बिल्कुल निर्दोष न था तथापि सुग्रीवकी भक्तिके वशमें होकर भगवान्ने इन बातोंका कुछ भी ख्याल न करके बालिको मारा और सुग्रीवको राज्य दिलाया। ९८-जसुमति हठि बाँध्यो- ___ एक बार यशोदाजी दूध मथ रही थीं। उसी समय बालक श्रीकृष्ण भूखे हुए उनके पास आये, माता उन्हें गोदमें उठाकर प्रेमसे दूध पिलाने लगी, इतनेमें चूल्हेपर चढे हुए पात्रमें दूधका उफान आ गया । यशोदाजी श्रीकृष्णको गोदसे नीचे उतारकर उस दूधके पात्रको उतारने गयीं । इससे बालक कृष्ण बहुत रूठ गये और उन्होंने दहीके मटकेको उलट दिया और दूसरे घरमें जाकर ऊखलपर चढ़कर माखन खाने लगे। माताने वापस आकर देखा कि दहीका बर्तन उलटा पड़ा है और श्रीकृष्णका पता नहीं है । वह क्रोधित हो उठी और श्रीकृष्णको सजा देनेके लिये ढूँढ़ने लगी। जब वह उस घरमें पहुँची जहाँ कृष्ण मक्खन खा रहे थे तो कृष्ण माताकी मारके डरसे ऊखलसे उतरकर भागने लगे। माताने उनको पकड़ लिया और लगी रस्सीसे उन्हें ऊखलमें बाँधने । परन्तु जिस रस्सीसे वह बाँधना चाहती थी वही रस्सी छोटी हो जाती, यों तमाम घरभरकी रस्सी