पृष्ठ:विनय पत्रिका.djvu/५६

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विनय-पत्रिका है। इनके समान समस्त शूरवीरोंमें शिरोमणि दूसरा कौन है ? ॥२॥ इनके समान (सुग्रीव, विभीषण आदि ) राज्यवहिष्कृतोंको पुनः स्थापित करनेवाला, सिंहासनपर स्थित (बालि, रावण आदि) राजाधिराजोंको राज्यच्युत करनेवाला, देवताओंको प्रण करके रावणके बन्धनसे छुडानेवाला, समुद्र लॉधकर लड्काको जलानेवाला और बड़े-बड़े बलवान् भयानक राक्षसोंके बलका नाश करनेवाला दूसरा कौन है ? ॥ ३ ॥ जिनके बाल-विनोदको याद करके अब भी प्रातःकालके सूर्यदेव डरा करते हैं, जिनकी ठोडीकी चोटने कठोर वज्रके दाँतोंका घमण्ड चूर कर दिया ॥ ४॥ बडे-बडे लोकपाल भी जिनका कृपाकटाक्ष चाहते हैं, ऐसे रणबांकुरे हनुमान्जीकी जो सेवा करता है, वह सदा निडर रहता है, शत्रुओंपर विजयी होता है और ससारके सभी सुख तथा कल्याणरूप मोक्षको प्राप्त करता है ॥५॥ पूर्णकला-सम्पन्न चन्द्रमा-जैसे श्रीरामचन्द्रजीके मुखको अनिमेष-दृष्टिसे देखनेवाले चकोररूप हनुमानजीका नाम भक्तोंके लिये कल्पवृक्षके समान है । हे तुलसीदास | गयी हुई वस्तुको फिर दिला देनेवाले श्रीहनुमान्जीका जो गुण गाता है, अर्थ, धर्म, काम, मोक्षरूप चारों फल सदा उसकी हथेलीपर धरे रहते हैं ॥६॥ राग बिलावल [३२] ऐसी तोहि न बूझिये हनुमान हठीले । साहेव कहूँ न रामसे तोसे न उसीले ॥१॥ तेरे देखत सिंहके सिसु मेंढक लीले । जानत हो कलि तेरेऊ मन गुनगन कीले ॥२॥ ।