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बेत, पहाड़ की ढाल पर अड़े हुए पत्थर, चाभी दी हुई पर न चलती हुई घड़ी, सूखने के लिये फैलाए हुए कोयले, बोरे में कसी हुई बारूद में जो छटकने, चलने, दहकने और भड़कने की शक्ति है वह अव्यक्त वा निहित हैं। बेत के छटकने, पत्थर के लुढ़कने, घड़ी के चलने, कोयले के दहकने और बारूद के भड़कने पर वहीं शक्ति व्यक्त वा क्रियमाण कहलावेगी। गति-शक्ति दो प्रकार की क्रियाएँ करती है। यह द्रव्य के पिंडो, अणुओं और परमाणुओं को एक दूसरे की और खींचती है अथवा उनको एक दूसरे से हटा कर अलग अलग करती है । पिडो की एक दूसरे को खीचने की शक्ति लोहे और चुंबक तथा सूर्य और ग्रहपिंडो आदि के आकर्षण में देखी जाती है । अणुओ के परस्पर मिलने से पिड, परमाणुओ के परस्पर मिलने से अणु, और विद्युदणुओ के परस्पर मिलने से परमाणु बनते है। इसी प्रकार जहाँ ठोस वस्तु द्रव के रूप में आ रही हो, या द्रव वस्तु वाष्प या वायव्य रूप में आ रही हो वहाँ यह समझना चाहिए कि विश्लेषण-शक्ति अर्थात् अलग करने वाली शक्ति कार्य कर रही है। शक्ति के सबंध में यह समझ रखना चाहिए कि यद्यपि द्रव्य के समान उसमे गुरुत्व नहीं होता पर उसके वेग की मात्रा का हिसाब होता है। सेर भर पत्थर उठाने में जितनी शक्ति लगती है दो सेर बोझ उठाने में उससे दूनी शक्ति लगेगी । चलती हुई वस्तुओ का धीमा और तेज होना, गरमी का घटना बढना हम नित्य ही देखते है ।

द्रव्य के अंतर्गत कोई ७८ मूलद्रव्य या मूलभूत माने गए