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हैं जिनमें कुछ धातुएँ हैं ( सोना, चांदी, ताँवा, लोहा सीसा, राँगा, पारा, निकल, जस्ता, अलुमीनम), कुछ और निज है(जैसे, गंधक, संखिया, सुरमा, मगनीशिया ) और कुछ वायव्य द्रव्य हैं (जैसे, आक्सिजन, हाइट्रोजन, नाइट्रोजन इत्यादि )। ये ही ७८ मूले द्रव्य आधुनिक रसायन शास्त्र के अनुसार मूल उपादान हैं जिनके परमाणुओ के योग से जगत के नाना प्रकार के पदार्थ बने है । अतः जितने ये मूल द्रव्य है उतने ही प्रकार के परमाणु हुए । एक प्रकार के परमाणु के साथ दूसरे प्रकार के परमाणु के मिलने से एक तीसरे रूप के द्रव्य का प्रादुर्भाव होता है---जैसे आक्सिजन और हाइड्रोजन नामक मूल द्रव्यों के परमाणुओ के योग से जल की उत्पत्ति होती है । पर ध्यान रखना चाहिए कि यह परिणाम एक विशिष्ट मात्रा में परमाणुओ के मिलने से होता है । जैसे जल का यदि हम रासायनिक विश्लेषण करे तो उसमे हमे १६ भाग आक्सिजन गैस और २ भाग हाइड्रोजन गैस * मिलेगा। इसी प्रकार यदि हम नमक का विश्लेषण करे तो हमे ३५ भाग क्लोराइन और २३ भाग सोडियम मिलेगा । परमाणुओं का मिश्रण ही रासायनिक मिश्रण कलाता है । परमाणुओ


* जस्ते को तेजाब में गला कर यह गैस निकाला जा सकता है ।

साधारण मिश्रण से रासायनिक मिश्रण भिन्न होता है। साधारण मिश्रण में दो पदार्थों के अणु ही देखने में मिले मालूम होते है, पर दोनों पदार्थ अलग अलग पहचाने जा सकते हैं । पर रासायनिक मिश्रण में एक के अणुओं के परमाणु निकल निकल कर