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विज्ञान की सब शाखाओ की अद्भुत उन्नति हुई है। सब से बडी बात जो विज्ञान ने सिद्ध की है वह अखिल विश्व की शक्तियो की एकता है। तापसंबंधी भौतिक सिद्धांत ने स्थिर कर दिया है कि ये समस्त शक्तियाँ किस प्रकार एक दूसरे से संबद्ध है और किस प्रकार एक शक्ति दूसरी शक्ति के रूप में परिवर्तित हो सकती है। किरणविश्लेषण * विद्या ने यह बात स्पष्ट कर दी है कि जिन द्रव्यो से पृथ्वी पर के सारे पदार्थ बने है उन्ही द्रव्यो से ग्रह, नक्षत्र, सूर्य आदि भी बने है-उनमे पृथ्वी से परे कोई द्रव्य नही है। ज्योतिर्विज्ञान ने हमारी दृष्टि को ब्रह्मांड के बीच बहुत कुछ फैला दिया है और अब हमे अगाध अंतरिक्ष के बीच लाखो घूमते हुए पिडो का पता है जो हमारी पृथ्वी से भी बड़े है और एक अखंड क्रम के साथ बनते विगड़ते चले जा रहे है।रसायनशास्त्र ने हमे अनेक द्रव्यो को परिज्ञान कराया है जो सब के सब थोड़े से (लगभग ७५) मूलद्रव्यो से बने हैं। ये मूलद्रव्य इसलिये कहलाते है कि विश्लेषण करने पर इनमे दूसरे द्रव्य का मेल नही पाया जाता। इन मूलद्रव्यो मे से कोई कोई जीवन-व्यापार में बड़े काम के है। इनमे से कारबन, या अंगारतत्त्व (कोयला) ही से अनन प्रकार के सेद्रिय पिडो की योजना होती है। इसी से इसे "जीवन का रासायनिक आधार" कहते है। इन सब से


  • Spectroscope नामक यत्र से भिन्न भिन्न प्रकार के किरणो ( जैसे सूर्य की, लपट की ) परीक्षा की जाती है। किरणो की छोटाई बड़ाई और रंग से यह जाना जा सकता है कि किस प्रकार के रासायनिक द्रव्यो से वे आ रही है।