पृष्ठ:विश्व प्रपंच.pdf/१६८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
( ५ )

प्रकृति के इस परिज्ञान के बल से हमारे जीवन के व्यवहारो मे बड़ा भारी परिवर्तन हुआ है। आज रेल, तार, टेलिफोन आदि के द्वारा हमने जो दिक्काल-संबधी बाधाओ को दूर किया है और भूमंडल के समस्त देशो के बीच व्यापार का जाल फैला कर "व्यापारयुरग" उपस्थित किया है---यह सब भौतिक विज्ञान की उन्नति का---विशेषतः भाप और बिजली की शक्ति के प्रयोग का--प्रसाद है। इसी प्रकार जब फोटोग्राफी द्वारा बात की बात मे हम वस्तुओ का तद्रूप चित्र उतरते कृषि आदि व्यवसायो की इतनी उन्नति होते, और क्लोरोफार्म, मरफिया आदि के प्रयोग द्वारा पीड़ा को शमन होते देखते है तब हमे रसायन शास्त्र की उन्नति के महत्व का ध्यान होता है। पर प्राचीन काल की अपेक्षा हमने इस वर्तमान काल मे वैज्ञानिक विषयो मे कितनी उन्नति की हैं। यह बात इतनी प्रत्यक्ष है कि अधिक विस्तार की कोई आवश्यकता नहीं।

पर जिस प्रकार हमें आजकल के प्रकृति सबधी परिज्ञान की उन्नति को देख गर्व और आनंद होता है उसी प्रकार जीवन के कुछ बड़े बड़े विभागो की दशा देख खेद और सताप होता है। हमारी शासन-व्यवस्था, न्यायव्यवस्था और शिक्षा-पद्धति--यहाँ तक कि हमारे सारे सामाजिक और आचारसंबंधी व्यवहार--अभी तक असभ्य दशा मे है। न्याय ही को लीजिए जिसे देखते हुए कोई यह नहीं कह सकता कि वह हमारे सृष्टि और मनुष्य-संबंधी वर्तमान समुन्नत ज्ञान के उपयुक्त है। नित्य अदालतो मे ऐसे ऐसे विलक्षण फैसले होते है