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झिल्ली और नसों का बना हुआ परदा ) की विशेषता होती है जो उदराशय को वक्षआशय से जुदा करता है। दूसरे रीढ़वाले जानवरों में यह परदा नही होता, वह केवल दूध पिलानेवालों में होता है। इसी प्रकार मस्तिष्क, घ्राणेंद्रिय, फुप्फुस, बाह्य और आभ्यंतर जननेद्रिय आदि की बनावट में भी बहुत सी विशेषताएँ दूध पिलानेवाले जीवो में होती हैं। इन सब पर ध्यान देने से यह पता चलता है कि दूध पिलानेवाले जीव सरीसृपों और जलस्थलचारी जीवों से उत्पन्न हुए। यह बात कम से कम १२०००००० वर्ष पहले हुई होगी। अस्तु मनुष्य एक दूध पिलानेवाला स्तन्य जीव है।

आधुनिक जंतु विज्ञान मे स्तन्य जीवो के भी तीन भेद किए गए हैं---अडंजस्तन्य, अजरायुज पिंडज (थैलीवाले)


  • इन वर्ग के जीवो में एक ही कोठा होता है जिसमे मलवाहक सूत्रवाहक और वीर्यवाहक नले गिरते है। मादा चिडियो की तरह अडे भी देती हैं और स्तन्य जीवो तरह दूध भी पिलाती है। इस प्रकार के दो एक जानवर आस्ट्रेलिया में पाए जाते हैं। एक बत्तख घूस होंती है जिसका सब आकार घूँस की तरह होता है पर मुँह बत्तख की चोच की तरह का और पने बतख के पंजों की तरह के होते है। इसी प्रकार के साही भी होती है। ये पक्षियों और स्तन्य जीवों के बीच के जंतु है।

इस वर्ग के जीव भी आस्ट्रेलिया तथा उसके आसपास के द्वीप में पाए जाते हैं। इनके गर्भ मे जरायु नहीं होता जिससे गर्भ के भीतर बच्चों का पोषण होता है, अतः बच्चे अच्छी तरह बनने