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होती गई है। सारांश यह कि मनुष्यशरीर मे भी किंपुरुष शाखा के सब लक्षण विद्यमान है। अस्तु, मनुष्य किंपुरुष शाखा का एक जीव है।

ध्यानपूर्वक देखने से इस किपुरूषशाखा के भी दो भेद हो जाते है---एक बंदर दूसरे पूरे वनमानुस। बंदर निम्नश्रेणी के और पहले के है, वनमानुस अधिक उन्नत और पीछे के हैं। बदर की माता का गर्भाशय और दूसरे स्तन्य जीवो की तरह दोहरा होता है। इसके विरुद्ध पूरे वनमानुस के दहिने और बाएँ दोनो गर्भाशय मिले होते है और इस मिले हुए गर्भाशय का आकार वैसा ही होता है जैसा मनुष्य के गर्भाशय का। नर-कपाल के समान वनमानुस के कपाल मे भी नेत्रो के गोलक कनपटी के गड्डो से हड्डी के एक परदे के द्वारा विच्छिन्न होते है। पर साधारण बंदरो मे या तो यह परदा बिलकुल नही होता अथवा अपर्ण रूप मे होता है। इसके अतिरिक्त बंदर का मस्तिष्क या तो बिलकुल समतल होता है अथवा बहुत थोडा खुरदुरा या ऊँचा नीचा होता है और कुछ छोटा भी होता है। बनमानुस का मस्तिष्क बडा, उसके तले की रचना अधिक जटिल होती है। जितना ही जा वनमानुस मनुष्य के अधिक निकट तक पहुँचा हुआ होता है उसके मस्तिष्क के तल मे उतने ही अधिक उभार (अखरोट की गिरी के समान) होते है। अस्तु, मनुष्य मे वनमानुस के सब लक्षण पाए जाते है।

वनमानुसो के दो विलक्षण विभाग देश के अनुसार किए गए हैं। पश्चिमी गोलार्ध या अमेरिका के बनमानुस