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जिस जीव का वह पंजर है वह बनमानुस और मनुष्य के बीच का जीव था। ऐसे जीव की खोज बहुत दिनो से थी। जावा के इस वानराकार नरपंजर के मिलने से मनुष्य का वनसानुस से क्रमशः निकलना प्राग्जंतुविज्ञान द्वारा भी उसी निश्चयात्मकता के साथ सिद्ध होगया जिस निश्चयात्मकता के साथ शरीरविज्ञान और गर्भविज्ञान द्वारा सिद्ध था। अस्तु, मनुष्यजाति की उत्पत्ति के संबंध में तीन प्रकार के प्रमाणो की एकरूपता हो गई। 

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