पृष्ठ:विश्व प्रपंच.pdf/२३२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
( ६९ )


प्राकृतिक व्यापारी के समान एक विशिष्ट भौतिक आधार पर अवलंबित है। ससस्त मनोव्यापारो के इस आधारभूत द्रव्य को हम मनोरस कहेगे। कारण यह है कि रासायनिक विश्लेषण के द्वारा परीक्षा करने पर यह उसी कोटि का द्रव्य ठहरता है जिस कोटि के द्रव्य कललरस * विशिष्ट कहलाते है। ये द्रव्य अंडसाररस और अंगारक के रासायनिक संयोग से बनते है और समस्त चेतन व्यापारो के मूल है। उन्नत जीवो मे जिन्हे संवेदनसूत्रजाल और अनुभवात्सक इंद्रियाँ होती हैं उपर्युक्त मनोरस से ही संवेदनसूत्ररस अर्थात् संवेदनसूत्र निर्मित करनेवाली धातु का विधान होता है। इस विषय मे हमारा यह निरूपण भौतिक है। इसे प्राकृतिक और परीक्षात्मक भी कह सकते है क्योकि विज्ञान ने अभी तक किसी


  • कललरस ( Protoplasm ) एक चिपचिपा कुछ दानेदार पदार्थ है जो जीवन का मूल द्रव्य समझा जाता है। प्राणियो और उद्भिदो के सूक्ष्म घटक इसीके होते है। आहारग्रहण, वृद्धि, स्वेच्छा गति, सवेदन आदि व्यापार इसमे पाए जाते हैं। रासायनिक विश्लेपण द्वारा यह कललरस आक्सिजन, हाइड्रोजिन, नाइट्रोजन और कारबन के विलक्षण अण्वात्मक योग से सघटित पाया जाता है। जल और लवण का भी इसमे मेल रहता है। पर सयोजक मूल द्रव्यो को जान लेने पर भी मनुष्य कललरस नहीं बना सका है।

एक गाढा चिपचिपा पदार्थ जो अडॉ की नर्दी, जीवो के रक्त आदि मे रहता है। यह आक्सिजन, कारबन, नाइट्रोजन और हाइड्रोजन और कुछ गधक के मेल से बना होता है।