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कुछ दृष्टांत लीजिए। जरमनी के सब से प्रसिद्ध दार्शनिक कांट ने पहले अपनी युवावस्था मे यह स्थिर किया कि परोक्षवाद् के तीन बड़े विषय-—ईश्वर, आत्मस्वातंत्र्य और आत्मा का अमरत्व--शुद्ध बुद्धि के निरूपण से असिद्ध है। पीछे वृद्धावस्था मे उसने यह कहा कि ये तीनो बाते व्यवसायात्मिका बुद्धि के स्वयंसिद्ध निरूपण है और अनिवार्य है। इसी प्रकार विरचो और रेमंड नामक प्रसिद्ध जरमन वैज्ञानिको ने पहले बहुत दिनो तक भूतातिरिक्त शक्ति, शरीर और आत्मा की पृथक भावना आदि का घोर विरोध किया, पर पीछे उन्होने चेतना को भूतातिरिक्त व्यापार कहा।

अंत.करण की वृत्तियो की, विशेषतः चेतना की, परीक्षा के लिए वैज्ञानिक अनुसंधानप्रणाली मे कुछ फेरफार करना पड़ता है। वैज्ञानिक अनुसंधान बहिर्मुख दृष्टि से होता है अर्थात् उसमे मन ( अपने से भिन्न ) बाह्य विषयो का निरीक्षण और विचार करता है। मनोव्यापारो के अनुसंधान मे हमे इस बहिर्मुख निरीक्षण के अतिरिक्त अंतर्मुख निरीक्षण या आत्मनिरीक्षण भी बहुत अधिक करना पड़ता है। इस स्वानुभूति या आत्मनिरीक्षण मे मन अपना ही अर्थात् अपने ही व्यापारो का चेतना के दर्पण मे निरीक्षण करता है। * अधि--


  • Pure reason
  • Practical reason
  • काट आदि प्रत्यक्षवादी दार्शनिको ने स्वानुभूति या आत्मनिरीक्षण असभव कहा है। वे उसके सबंध मे यह बाधा उपस्थित करते हैं---"निरीक्षण करने के लिए तुम्हारी बुद्धि को अपनी क्रिया रोकनी