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कीड़ों के खोदे हुए बिल, पूर्वयुग के मनुष्यो के बनाए हुए पत्थर के हथियार इत्यादि ) मिलते हैं। सब से प्राचीन कल्प के अर्थात् सब से पहले बननेवाले स्तरों में शुक्तिवर्ग के क्षुद्र कीटो से ले कर सब से निम्न कोटि की मछली ( अर्थात् अत्यंत क्षुद्र कोटि के रीढ़वाले जतु ) तक के अवशेष मिलते है। इनसे पीछे के स्तरो मे मछलियो, सरीसृपो, पक्षियो तथा दूध पिलानेवाले जंतुओं के पंजर मिलते हैं। जंतुओं के अवशेष से भी विशिष्ट पदार्थों की चट्टाने बनती है-—जैसे, खरिया मिट्टी की चट्टाने जो ससुद्र मे रहनेवाले अत्यत सूक्ष्म कृमियों की ठोस खोलड़ी के तह पर तह जमन से बनती है। पत्थर का कोयला क्या है? पूर्वयुग के पेड़ पौधो के अवशेष जो तह पर तह जमते गए वे ही आभ्यतंर ताप की तरगो के योग से कोयले के थक्के के रूप में हो गए। चट्टानो के जमने का हिसाब लगा कर भूगर्भवेत्ता पृथ्वी की प्राचीनता का अनुमान करते हैं। जैसे, पेड़ो की पचास पुश्त की लकड़ी के जमने से एक फुट मोटा कोयले का थक्का बनता है । कोयले की तह की मोटाई बारह हजार फुट तक मानी गई है। यदि पेड़ो की हर एक पीढ़ी के लिये दस दस वर्ष भी रख ले तो इस हिसाब से बारह हजार फुट कोयला जमने मे कम से कम छ करोड़ वर्ष लगे होगे।

पृथ्वी की उत्पत्ति हुए कितना काल हुआ इस विषय मे भूगर्भवेत्ताओ और भौतिक विज्ञानियों में थोड़ा मतभेद है। भूगर्भवेत्ता पृथ्वी का कालनिर्णय उस हिसाब से करते हैं जिस हिसाब से चट्टानो की तहे पानी के नीचे जम रहीं हैं