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बाढ़ भीतर की ओर से सीधे ऊपर को ओर को होती है और जिनके धड़ में लकड़ी, हीर और छाल का स्पष्ट भेद नहीं होता। जंतुओ मे समुद्र में रहनेवाली विशाल आकार की छिपकलियां, पक्षी, पक्षियों और स्तन्य जीवो के बीच के अंडज स्तन्य ( दूध पिलाने वाले ), अजरायुज और जरायुजो के बीच के अजरायुज पिडज (आज कल के कंगारू से मिलते जुलते) जीव।

तृतीय कल्प---बड़े भारी जरायुज जंतु। मनुष्य के आकार के वनमानुस।

चतुर्थ कल्प---हाथी की तरह के पर उससे बहुत बड़े और रोएँदार मैमथ आदि जंतु। मनुष्य तथा वे सब जीव जो आज कल पाए जाते है।

किस प्रकार एक जाति के जंतु या पौधे से क्रमश दूसरी जाति के जंतुओं और पौधो की उत्पत्ति होती गई है इसका निरूपण विकाश सिद्धांत द्वारा किया गया है। इस पृथ्वी के पूर्वकल्पो में न जाने कितने ऐसे जंतु हो गए हैं जिनका वश लुप्त हो गया है, जो अब कही नहीं मिलते, पर जिनकी ठटरियाँ जमीन के नीचे दबी मिलती है। मैमथ इसी प्रकार का जतु हो गया है जो हाथी के रूप का था पर उससे बहुत बड़ा और रोएँदार होता था। बीस बीस हाथ लंबी ऐसी काँटेदार छिपकलियो की ठटरियाँ मिली है जो हवा में उड़ती थी। अब वे भीमकाय और भयंकर जंतु पृथ्वी पर नहीं रह गए। एक प्रकार के जंतु से दूसरे प्रकार के जंतु एकबारगी तो उत्पन्न नहीं हो गए। दोनों के बीच की वंशपरंपरा में ऐसे जंतु रहे होगे