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कोशयुक्त उन्नत प्राणियो की कई परत की विचित्र त्वचा का प्रादुर्भाव हुआ। पर यह भी समझना चाहिये कि यह बात दो चार दिनो में तो हुई नहीं, कई लाख वर्षों के बीच लगातार प्रभाव पड़ते रहने से शनैः शनैः हुई है।

विकाशक्रम में सरीसृपो से आगे होने के कारण पक्षियो का मस्तिष्क बड़ा होता है। उनमे बुद्धि का विकाश सरीसृपो से कही अधिक देखा जाता है। उनमे दृष्टि का विस्तार मनुष्यों से कहीं अधिक होता है। स्मरणशक्ति भी उनकी मनुष्य से बहुत बढ़ चढ़ कर होती है। हजारो कोस समुद्र पार के देशो से होकर एक छोटी सी चिड़िया फिर उसी पेड़ वा झाड़ी पर आ जाती है जिस पर पिछले वर्ष उसने घोंसला बनाया था।

पक्षियो से अब हम स्तन्य वा दूध पिलानेवाले जीवो की ओर आते है। आदिम रूप के स्तन्य जन्तु पक्षियो से कई बातों मे मिलते जुलते हैं। एक तो उन्हे दाँत नही होते, दूसरे हृदय और आँतों आदि सब के लिए एक ही कोठा होता है। इस प्रकार के जन्तु अब तक दो ही पाए गए हैं और दोनो आस्ट्रेलिया मे, एक तो बत्तख़-घूँस जिसे बत्तख़ की तरह कड़ी, चौड़ी चोंच होती है और जिसके पंजो की उँगलियो के बीच झिल्लियाँ होती हैं; दूसरा चींटीखोर जो खरहे के इतना बड़ा होता है। ये दोनो जानवर अंडे देते है। अंडे से निकलने पर बच्चे माता का दूध पीकर पलते हैं। सरीसृपो, पक्षियों और स्तन्य जीवो के मध्यवर्ती इन जंतुओ के वर्ग को अंडज स्तन्य वर्ग कहते हैं। इस वर्ग से कुछ उन्नत वर्ग मे अजरायुज स्तन्य हुए जिनके दो नमूने अब तक मिलते हैं—आस्ट्रेलिया का