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कँगारू और ओपोसम। ये यद्यपि पिंडज जंतु हैं पर इनके बच्चे पूरे बने हुए नहीं पैदा होते और बहुत दिनों तक माता उन्हे अपने पेट मे बनी हुई एक थैली मे रखती है। बाहर निकल कर डोलते हुए बच्चे किसी प्रकार की आहट पाने पर झट थैली मे घुस जाते हैं।

तीसरा वर्ग जरायुजो का है जो सब से अधिक उन्नत है और जिसके अंतर्गत कुत्ते, बिल्ली, हाथी, घोड़े, बंदर, मनुष्य आदि हैं। इस वर्ग के जंतुओ मे जरायुज की विशेषता होती है जिसके द्वारा भ्रूण गर्भ मे ही बढ़ता और अपने आकार को पूर्ण करता है। इनके बच्चे सब अंगो से युक्त हिलते डोलते पैदा होते हैं। इन्ही जरायुजो की एक शाखा किम्पुरुष है जिसके अंतर्गत बन्दर, वनमानुस और मनुष्य है। बिना पूँछ के वनमानुसो से मिलते जुलते पूर्वजो से ही क्रमशः विकाश-परम्परा द्वारा मनुष्य का प्रादुर्भाव हुआ जो भूमंडल के प्राणियो मे सब से श्रेष्ठ है

संक्षेप में विकाश-सिद्धांत का यही सारांश है जिसे डारविन ने जीवन भर लगातार श्रम करके अनेक प्रमाणो के संग्रह के उपरांत प्रतिष्ठित किया। डारविन के पीछे अनेक वैज्ञानिको ने अपने नए नए अनुसंधानो द्वारा इस मत को पुष्ट किया। भूगर्भ के भीतर अतीत युगो के जीवो के पंजरो की जो खोज हुई उससे इस संबंध मे बहुत सहायता मिली। एक वर्ग और योनि के जीवो से दूसरे वर्ग और योनि के जीवो का विधान एकबारगी तो हुआ नहीं, क्रमशः लाखो पीढ़ियों मे जाकर हुआ है। किसी योनि के कुछ प्राणियो मे स्थिति के अनुरूप औरो से कुछ विशेषताएँ उत्पन्न हुई जो